…व्यापम ने कराई थी शिवराज सरकार की बदनामी

Shivani Rathore
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इस सरकार के गले पड़ा ईएसबी का भूत

🔹कीर्ति राणा, इंदौर

शिवराज सिंह सरकार के वक्त व्यापम (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) की परीक्षाओं में हुई गड़बड़ी ने देश भर में सरकार की थू थू कराई थी, वो मामले अभी भी कोर्ट में चल रहे हैं। तब सरकार ने अपने दाग धोने के लिए व्यापम का नाम बदल कर पहले पीईबी (प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड) कर दिया था घोटाले फिर भी होते रहे तो नाम एक बार फिर बदल कर ईएसबी (कर्मचारी चयन बोर्ड) कर दिया है। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से व्यापमं का भूत ईएसबी का वेष बदलकर इस सरकार के भी गले पड़ गया है।4 मार्च को उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा 2023 बायोलाजी विषय में पहली और दूसरी शिफ्ट में पूछे गए एक ही तरह के एक प्रश्न को (दूसरी शिफ्ट की आंसरशीट में) अमान्य कर दिए जाने से इस शिफ्ट के हजारों परीक्षार्थियों के सामने संकट खड़ा हो गया है। विभाग ने इस संकट का संतोषजनक हल करने की अपेक्षा 8720 पदों पर चयन परीक्षा लेकर उसका रिजल्ट भी घोषित कर दिया है।

इसका खुलासा अंतिम उत्तर कुंजी से पकड़ में आया है।बायोलॉजी विषय में निरस्त किए गए एक ऐसे प्रश्न से है जो वास्तव में सही था किन्तु अंतिम उत्तर कुंजी बनाने वाली कमेटी ने इसे शिफ्ट-I में तो सही मान लिया किन्तु शिफ्ट-II में प्रश्न को निरस्त कर कई पात्र उम्मीदवारों को बाहर कर दिया। इतना ही नहीं यह प्रश्न ईएसबी की अन्य परीक्षाओं में भी पूछा जाता रहा है जिसे सही मानकर मूल्यांकन होता रहा है। ईएसबी की इस गड़बड़ी से फिर फर्जीवाड़ा होने का संदेह गहरा हो गया है।

विभाग की तकनीकी त्रुटि के चलते जिस एक प्रश्न को निरस्त कर दिया गया उस कारण हजारों छात्र व्याख्याता बन पाने से वंचित रह गए हैं। अब विभाग व्याख्याता पद के लिए पात्रता व चयन परीक्षा कब आयोजित करेगा यह भी तय नहीं है क्योंकि 2018 के पांच साल बाद अब ये परीक्षा आयोजित की गई थी।विभाग जब परीक्षा आयोजित करेगा तब तक ये छात्र ओवरएज (आयु सीमा चालीस वर्ष है) हो गए या विभाग ने परीक्षा का पेटर्न चेंज कर दिया तो भी इन छात्रों को चुनौती का सामना करना पड़ेगा।इस परीक्षा के लिए आरक्षित वर्ग ने 360 और सामान्य वर्ग के छात्रों ने 660 रु फीस जमा की थी। सेंकंड शिफ्ट वाले हजारों छात्रों की फीस भी बोर्ड की लापरवाही (अनुवाद की त्रुटि जैसा कारण बताने से) से डूब गई है।

🔹अलग अलग तरीके से पूछा एक प्रश्न

पांच साल पहले (2018) तक व्याख्याता (उच्च माध्यमिक शिक्षक) पद के लिए एक ही परीक्षा लेकर उत्तीर्ण छात्रों को नौकरी देता था। गड़बड़ियों की पुनरावृत्ति न हो इसलिए पांच साल बाद हुई व्याख्याता पद परीक्षा के लिए दो परीक्षा का पेटर्न रखा गया है। पात्रता परीक्षा में सफल छात्रों को चयन परीक्षा भी उत्तीर्ण करना होगी।प्रदेश में 4 मार्च को आयोजित व्याख्याता पद की दो शिफ्ट में हुई परीक्षा में हजारों परीक्षार्थी शामिल हुए थे। दोनों शिफ्ट में एक प्रश्न अलग अलग तरीके से पूछा गया था। पहली शिफ्ट में जो ऑन्सर दिया, दूसरी शिफ्ट में उसी प्रश्न के ऑन्सर को गलत मान कर हजारों छात्रों को चयन परीक्षा देने का अवसर नहीं मिल पाया।

🔹दो शिफ्ट में एक जैसा प्रश्न, एक को गलत माना

उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा 2023 में बायोलॉजी विषय की शिफ्ट-1 (Q.ID:2657261) में प्रश्न था ‘पारा प्रदूषण के कारण ………… होती है।’ इस प्रश्न का सही उत्तर मिनामाता रोग को माना गया।शिफ्ट-2 (Q.ID:2657236) में प्रश्न मिनामाता रोग किसके विषैले प्रभाव के कारण होता है? इसका सही उत्तर पारा न मानते हुए ईएसबी ने हिंदी अनुवाद में त्रुटि बताते हुए इस प्रश्न को निरस्त कर दिया गया। इस तरह से शिफ्ट-2 के परीक्षार्थियों को एक प्रश्न की हानि हुई परन्तु वहीं इसी प्रश्न का लाभ शिफ्ट-1 के परीक्षार्थियों को मिला है। ईएसबी के इस भेदभाव पूर्ण मूल्यांकन के कारण शिफ्ट-2 के हजारों परीक्षार्थी दशमलव में अंक होने के कारण अपात्र हो गए हैं।

पात्रता परीक्षा में सेकंड शिफ्ट में एक प्रश्न के उत्तर को लेकर बनी स्थिति का सर्वसम्मत निराकरण अभी हुआ नहीं है। इस बीच कर्मचारी चयन बोर्ड ने (दूसरी) चयन परीक्षा भी ले ली है। इन दोनों परीक्षाओं में सफल रहे परीक्षार्थियों के रिजल्ट घोषित कर दिए हैं, इन पदों पर भर्ती होना बाकी है।

🔹अब से दो एग्जाम का पेटर्न

उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा का पेटर्न पात्रता और चयन परीक्षा वाला हो गया है। आवेदकों को इन दोनों परीक्षा में सफलता के बाद ही नियुक्ति की पात्रता होगी।आरक्षित वर्ग (एसी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस ) के छात्रों को पात्रता परीक्षा में 150 में से 75 (50 फीसदी) और सामान्य वर्ग छात्रों को 150 में से 90 (60 फीसदी)) अंक लाना अनिवार्य किया गया है। चयन परीक्षा के 100 नंबर वाले पेपर में आरक्षित वर्ग को 40 और सामान्य वर्ग के परीक्षार्थी को 50 नंबर लाना अनिवार्य है।

🔹 इतने दिनों तक खुलासा क्यों नहीं हो पाया

ईएसबी द्वारा जारी रिस्पांस शीट हर किसी के द्वारा ओपन करके नहीं देखी जा सकती है। इसे केवल वहीं अभ्यर्थी देख सकता है जो उसी शिफ्ट की परीक्षा में सम्मिलित हुआ हो। यानि किसी विषय की एक से अधिक शिफ्ट में परीक्षा हुई हो तो अभ्यर्थी दूसरी शिफ्ट के पेपर और अंतिम कुंजी पश्चात् अंतिम मान्य उत्तर व निरस्त प्रश्न नहीं देख सकता है। लेकिन अब जब दोनों शिफ्ट के अभ्यर्थियों ने अपनी रिस्पांस शीट क्रॉस चेक की तो पूरे मामले का खुलासा हुआ है।

🔹क्या चाहते है परीक्षार्थी 

परीक्षार्थियों का कहना है कि ईएसबी द्वारा स्पष्ट रूप से गलत मूल्यांकन किया गया है। जब प्रश्न को शिफ्ट-1 में सही माना गया है तो शिफ्ट-2 में ऐसे ही प्रश्न को कैसे निरस्त किया जा सकता है? क्या अंतिम उत्तर कुंजी बनाने वाली कमेटी ने इस बात का ध्यान नहीं रखा की प्रश्न दोनों शिफ्ट में पूछा गया है और कमेटी का निर्णय दोनों शिफ्ट के लिए समान तरह से लागू होना चाहिए? इतना ही नहीं यही प्रश्न ईएसबी की ग्रुप-2 (सब ग्रुप-3) स्वच्छता निरीक्षक, केमिस्ट एवं अन्य समतुल्य सीधी एवं बैकलॉग पद पर संयुक्त भर्ती परीक्षा-2022 परीक्षा दिनांक- 15/02/2023 शिफ्ट-I में प्रश्न (Q.ID:2633783) में भी पूछा गया है व इस परीक्षा में भी मिनमाटा को सही माना गया है। यदि गलती ईएसबी की है तो इसका खामियाजा अभ्यर्थी क्यों भुगते? अभ्यर्थियों का कहना है ESB की गड़बड़ी अब जब पकड़ आ चुकी है तो ESB अपनी गलती स्वीकार कर संशोधित परीक्षा परिणाम जारी करे।