मध्य प्रदेश की 6 सीटों पर पिछले चुनाव से कम रहा मतदान प्रतिशत

Shivani Rathore
Published on:

पहले चरण में प्रदेश की 6 सीटों पर हुए मतदान का प्रतिशत दोनों प्रमुख दलों के लिए चिंतनीय है।यदि ज्यादा मतदान को भाजपा के पक्ष में माना जाए तो छिंदवाड़ा (79), बालाघाट (73), मंडला (72) सीट पर नजर आ रही जीत की खुशी भाजपा को मनाना चाहिए।कम मतदान का मतलब सरकारी योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ नहीं मिलने से मतदाताओं की नाराजी मानी जाए तो जबलपुर (60), शहडोल (64) और सीधी (55) सीट कांग्रेस की खुशी बढ़ा सकती है।

इस बार 6 सीटों पर 8 प्रतिशत कम मतदान 

इन सभी सीटों पर दोनों दलों के अधिकृत प्रत्याशी सहित कुल 88 उम्मीदवार मैदान में थे। इन 6 सीटों पर इस बार औसतन 67.08 फीसदी मतदान हुआ है। जबकि पिछले चुनाव (2019) में 75.1 फीसदी।हॉटेस्ट सीट छिंदवाड़ा पर पिछले चुनाव की अपेक्षा मतदान करीब 03 प्रतिशत कम हुआ है। पिछले चुनाव में 82 तो इस बार 79 फीसदी मतदान हुआ है।

छिंदवाड़ा सीट तो पिछले दो चुनाव में भी भाजपा नहीं जीत पाई लेकिन इस बार तो इस सीट को नाक का सवाल बना रखा है मोदी-शाह ने।कमलनाथ का रसूख और उनकी जड़े कमजोर करने के लिए चल रहे अभियान में उनके खास-पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना सहित जिला पंचायत प्रतिनिधियों-पार्षदों के साथ छिंदवाड़ा नगर निगम महापौर विक्रम अहाके को भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई थी लेकिन ऐन मतदान के दिन महापौर आत्मा की आवाज सुन कर वापस कांग्रेस में लौट गए और नकुलनाथ के पक्ष में मतदान का वीडियो भी जारी कर दिया था।कमलनाथ के दोनों (पूर्व ओएसडी) राजदार आरके मिगलानी और प्रवीण कक्कड़ भी छापे और पुलिस जांच में उलझे हुए हैं।मतदान वाले दिन भाजपा प्रत्याशी बंटी विनोद साहू का एक महिला से अतंरग बातचीत वाला वीडियो जारी होने को भी फर्जी बताने के साथ भाजपा प्रत्याशी ने मिगलानी व अन्य कांग्रेसजनों पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। 

बीते 18 लोकसभा चुनाव में बस 1977 के  चुनाव में पटवा ने हराया था कमलनाथ को 

छिंदवाड़ा सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस की सीट मानी जाती है।बीते 18 लोकसभा चुनावों के परिणाम बताते हैं कि बस एक बार 1997 में (आपात्तकाल के बाद) हुए चुनाव में सुंदर लाल पटवा ने कमलनाथ को हराया था। बाकी तो 1952 से 2019 तक कांग्रेस ही जीतती रही है। एक तरह से छिंदवाड़ा को कमलनाथ घराने की सीट भी कहा जाता है। कमलनाथ तो यहां से लगातार जीते ही। हवाला कांड में नाम आने के कारण राजनीतिक उथलपुथल के चलते पत्नी अलका नाथ को 1996 में कमलनाथ ने चुनाव लड़ाया था।अलका नाथ ने भाजपा के चौधरी चंद्रभान को लगभग 21 हजार वोट से पराजित कर जीत हासिल की थी। पत्नी के चुनाव जीत जाने के बाद कमलनाथ को दिल्ली वाला बंगला खाली नहीं करना पड़ा था।

1980 के लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा सीट से युवा कमलनाथ ने जेपी के प्रतुल्ल चंद द्विवेदी को पराजित कर पहली जीत हासिल की थी।यह जीत का सिलसिला कभी कमलनाथ का, तो कभी उनकी पत्नी अलका नाथ का और अब उनके बेटे नकुलनाथ का चल रहा है. लेकिन 1980 से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव में केवल साल 1997 का लोकसभा चुनाव उपचुनाव ऐसा रहा, जब छिंदवाड़ा में कमलनाथ का सिक्का नहीं चला था और उन्हें सुंदरलाल पटवा के हाथों पराजय का मुंह देखना पड़ा था।

विधानसभा हारे कुलस्ते पर भाजपा को भरोसा

मंडला को इस मायने में हॉट सीट कहा जा सकता है कि मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे फग्गन सिंह कुलस्ते को पार्टी ने कांग्रेस के ओंकार सिंह मरकाम के सामने मैदान में उतारा। अनुसूचित जाति बहुल विधानसभा सीटों वाले इस संसदीय क्षेत्र से कुलस्ते 2019 और 2014 में भी लोकसभा चुनाव जीते थे।इन चुनावों में जीते और मोदी मंत्रिमंडल के सदस्य भी केंद्रीय मंत्री कुलस्ते को पार्टी ने विधानसभा चुनाव लड़ाया था लेकिन वो जीत नहीं पाए थे।

विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी जब केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें लोकसभा का टिकट दे दिया तो मंडला के भाजपा कार्यकर्ताओं को आश्चर्य भी हुआ था। वैसे यह सीट भाजपा का गढ़ कही जाती है। हालांकि 2004 के चुनाव में कांग्रेस के बसोरी सिंह मरकाम यहां से सांसद रहे हैं।मंडला सीट पर इस बार 72 प्रतिशत मतदान हुआ है लेकिन 2019 में हुए 78 प्रतिशत से 6 फीसदी कम हुआ है। वैसे 2014 में 67 फीसदी मतदान पर भी कुलस्ते चुनाव जीत गए थे जबकि 2009 में हुए 56 फीसदी मतदान ने कांग्रेस के बसोरी सिंह मरकाम को संसद में भेज दिया था। 

जबलपुर संसदीय सीट पर राकेश सिंह सतत पिछले तीन लोकसभा चुनाव जीतते रहे हैं। वे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भी रहे हैं लेकिन इस बार पार्टी ने यहां से आशीष दुबे को प्रत्याशी बनाया है। पार्टी के इस निर्णय का शुरुआत में विरोध भी हुआ था। कांग्रेस ने जातिगत समीकरण के चलते दिनेश यादव पर भरोसा किया है।जबलपुर में इस बार 

पिछले चुनाव से करीब 9 फीसदी कम 60 प्रतिशत मतदान हुआ है। जबकि इस सीट पर 2019 में 69, 2014 में 58 और 2009 में 44 फीसदी मतदान के बाद भी भाजपा जीत दर्ज कराती रही है।

बालाघाट में त्रिकोणीय चुनाव से मुकाबला रोचक हो गया है। भाजपा ने भारती पारधी को टिकट दिया है।यहां से भाजपा के ही बोध सिंह भगत सांसद थे उनका टिकट काट कर भारती को प्रत्याशी बनाया है। वे पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं। कांग्रेस ने पूर्व विधायक अशोक सरस्वार के बेटे सम्राट सिंह को मैदान में उतारा है। बसपा से पूर्व सांसद कंकर मुंजारे के मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।उनकी पत्नी कांग्रेस से विधायक हैं। वैचारिक मतभेद के चलते कंकर मुंजारे पूरे चुनाव में नदी किनारे झोपड़ी को निवास बनाकर प्रचार करते रहे हैं।

इस सीट से जीते 2014 में बोध सिंह भगत और 2009 में जीते केडी देशमुख भी भाजपा से जीते थे। पार्टी की इस परंपरागत सीट पर इस चुनाव में 73 फीसदी मतदान हुआ है जो पिछले चुनाव से 05 फीसदी कम रहा है। इसी सीट पर 2019 में 78 और 2014 में 68 और 2009 में 56 मतदान हुआ था। 

शहडोल सीट से भाजपा ने हिमाद्री सिंह, को और कांग्रेस ने फुंदेलाल मार्को को प्रत्याशी बनाया है। यहां इस बार 64 फीसदी मतदान हुआ है। पिछले चुनाव में 75, उससे पहले 62 और 2009 में 49 फीसदी मतदान हुआ था। पिछले चुनाव में हिमाद्री सिंह और उससे पहले भाजपा के दलपत सिंह परस्ते भाजपा से और 2009 में कांग्रेस के राजेश नंदिनी सिंह जीते थे।पिछले चुनाव में इस सीट पर सर्वाधिक75 फीसदी के मुकाबले इस बार 11 फीसदी कम मतदान हुआ है। 

 

सीधी सीट से भाजपा के राजेश मिश्रा और कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल मैदान में हैं।सीधी सीट पूर्व सीएम-कांग्रेस नेता स्व अर्जुन सिंह के प्रभाव वाली मानी जाती है जबकि इस सीट का शुरुआती मिजाज समाजवादी विचारधारा वाला था।कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर और राहुल सिंह के बीच पहले प्रतिद्वंदिता थी लेकिन सभा मंच से सार्वजनिक रूप से माफी मांग कर उन्होंने राहुल सिंह का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।सीधी सीट पर 1962, 1967, 1980, 1984 और 1991 में कांग्रेस प्रत्याशी जीतते रहे हैं।जबकि 2009, 2014 और 2019 में लगातार तीन चुनाव जीतकर भाजपा हैट्रिक लगा चुकी है।हाल ही में सम्पन्न हुए मतदान में इस सीट पर 55 प्रतिशत मतदान हुआ है जबकि सर्वाधिक मतदान 69 प्रतिशत पिछले चुनाव में (इस बार 14 प्रश कम) हुआ था।

मप्र की बाकी सीटों पर इन तारीखों में चुनाव 

दूसरे चरण में 26 अप्रैल को 7 सीटों टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा, होशंगाबाद और बैतूल पर मतदान होगा। तीसरे चरण में 7 मई को 8 सीटों मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल और राजगढ़ में और चौथे चरण में 13 मई को बची 8 सीटों देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगोन और खंडवा में वोट डाले जाएंगे।