हाल ही में, भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में फिलिस्तीन से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। इस प्रस्ताव में इजरायल से आग्रह किया गया कि वह बिना किसी देरी के, 12 महीने के भीतर, फिलिस्तीन के कब्जे वाले इलाकों से अपनी अवैध उपस्थिति को हटा ले। प्रस्ताव के पक्ष में कुल 124 देशों ने वोट दिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे को लेकर एकजुट है।
वहीं, अमेरिका सहित 14 देशों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया, जिसमें इजरायल भी शामिल था। दिलचस्प बात यह है कि भारत के साथ-साथ 43 अन्य देशों ने इस वोटिंग में भाग नहीं लिया। इस श्रेणी में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, इटली, नेपाल, यूक्रेन और ब्रिटेन जैसे देशों के नाम शामिल हैं।
इस प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया कि इजरायल को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। इसके अंतर्गत यह भी उल्लेख किया गया कि इजरायल को अपने कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों से जल्द से जल्द अपनी अवैध मौजूदगी हटानी होगी।
प्रस्ताव का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत इजरायल सरकार की दायित्वों की अनदेखी को न केवल आलोचना करना है, बल्कि इसे क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा भी माना गया है। यह प्रस्ताव फिलिस्तीन द्वारा तैयार किया गया था और इसके माध्यम से अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने एक बार फिर इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाई है।
इस वोटिंग से यह स्पष्ट है कि फिलिस्तीन के मुद्दे पर वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण विमर्श चल रहा है, जिसमें कई देश इजरायल के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं।