ॐ के जाप से लौट आई आवाज

Shivani Rathore
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*कीर्ति राणा, इंदौर*

जिसे डॉक्टरों ने जवाब दे दिया हो कि अब आप की आवाज लौट पाना संभव नहीं है वह व्यक्ति बिना किसी मेडिकल उपचार-ऑपरेशन के फिर से बोलने लग जाए तो यह चमत्कार से कम नहीं है।भोपाल पुलिस महकमे में पदस्थ एसीपी (जो कवि भी हैं) चौधरी मदन मोहन समर ने चर्चा की तो विश्वास करना पड़ा कि सतत 21 दिन ॐ का एक विशेष प्रकार से उच्चारण करने के बाद वो फिर से बोलने लग गए।

एसीपी एमएम समर ने कहा ॐ में सूर्य भी है, चाँद सितारा भी है, मीम भी है, क्रास भी है, ओंकार भी है। यह ब्रह्म का प्रतीक है।(ब्रह्मा का नहीं ब्रह्म और ब्रह्मा में अंतर है) पूर्ण वैज्ञानिक और लौकिक। आप थैरेपी मानो या ईश्वर की आराधना। यह प्रणव है, प्राण है। और इसी में निर्माण, पालन और समापन है। (प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनो एका) ध्वनी देखें
अअअअऊऊऊम्म्म्म्म्म्म्म्म
अअअअअल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लाह

अब इसके प्रभाव का असर बताता हूँ। आज से बारह साल पहले (2012) जब मैं मुलताई में टीआई पदस्थ था मेरी आवाज पहले अवरुद्ध हो हुई और फिर बोल पाना असंभव हो गया।मेरे मित्र जानते हैं, मैं बात भी नहीं कर सकता था। तत्कालीन एसपी ललित शाक्यवार बेहद चिंतित थे मेरी दशा देख कर।कवि सम्मेलन के मंच छूट गये।डाक्टरों को दिखाया तो सबने घोषित कर दिया आप मंच पर नहीं जा सकेंगे। बात अत्यंत धीमे करें। नोड्युल बहुत बढ़ गये हैं।यह बीमारी कष्टप्रद के साथ लाइलाज भी है। गले की सर्जरी कर थोड़ा बहुत बोलने के लायक बनाया जा सकता है।

मेरे अजीज दोस्त दिनेश यज्ञिक ने नागपुर के नाक-कान-गला स्पेशलिस्ट डाक्टर मदन कापरे को दिखाने की सलाह दी। हम नागपुर गए। डाक्टर कापरे ने बहुत बारीकी से जांच की और निराश हो कर बोले स्थिति बहुत खराब है।आखरी उपाय सर्जरी है और इसके बाद आप बेहद धीरे और काम चलाऊ तौर पर ही बोल सकेंगे। हम तय नहीं कर पा रहे थे कि क्या करें। डॉ कापरे अचानक बोले एक उपाय कर के देखो ईश्वर ने चाहा तो कुछ लाभ हो अन्यथा सर्जरी तो होगी ही। मैं कुछ उत्साहित हुआ।

उन्होंने मुझे एक खास तरीके से प्रतिदिन 21 बार ॐ के उच्चारण की सलाह दी और बताया एक माह तक यह करो फिर बताना। दवाई के नाम पर उन्होंने कोई भी दवा नहीं दी। मुझे भी आश्चर्य हुआ इतना प्रसिद्ध डाक्टर यह क्या सलाह दे रहा है। मैं बचपन से ही चंडी पाठ करता आया हूँ। मेरी पूजा भी सस्वर से मानसिक पूजा में बदल गई थी क्योंकि स्वर था ही नहीं।

अगले दिन से मैंने ॐ का उच्चारण प्रारम्भ किया। दो तीन दिन कठिनाई हुई, लेकिन उसके बाद धीरे–धीरे मेरी आवाज़ लौटने लगी और 21 वें दिन मुझे लगा ही नहीं की कभी मेरी आवाज़ को कुछ हुआ था। सभी इष्ट मित्र परिवार के लोग खुश थे। मैं आश्चर्यचकित था। बारह साल बाद आज भी उस क्रम को जारी रखे हूँ। काव्य पाठ के बाद जब मिलने वाले प्रशंसक यह कहते हैं कि समर साहब आपकी आवाज बहुत दमदार है तो मैं केवल ॐ कह कर डाक्टर कापरे का अहसान मानता हूँ।मेरी इस आपबीती की अनेक कितने मित्रों को सच्चाई का पता है।

इसके बाद हमारी एक परिचित दीदी को ब्रेन अटैक हुआ। वे पूरी तरह पलंग पर आ गईं। इलाज के बाद वे ठीक तो हुईं लेकिन उनकी आवाज लड़खड़ाना बंद नहीं हुई शरीर का कुछ हिस्सा भी कमजोर रहा। मैने उन्हे ॐ का उच्चारण कराना शुरू किया। आज वे पूर्ववत अपना काम पूरी दक्षता से कर रही हैं बिना किसी तकलीफ के।

कुछ साल पहले हमारे एक बड़े मंचीय कवि के गले में भी यही समस्या हुई। हाल–चाल जानने के लिए मैने फोन किया। उन्होंने बताया कि वाइस थैरेपी चल रही है इससे आराम आ रहा है। वह वाइस थैरेपी और कुछ नहीं ॐ का ही उच्चारण था।

अर्थात बड़े अस्पताल ने ॐ को वाइस थैरेपी के नाम से उपयोग किया। निश्चित रूप से ॐ दिव्य और ईश्वरीय नाद है।अब तो मेरा अटूट विश्वास है यदि आपको भी कोई समस्या है तो अंतस की गहराई और समस्या वाले स्थान को केंद्रित कर शुरू करें अ………. ओ…………….ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ…..निश्चित मानिये आवाज फिर से लौट आएगी।