नई दिल्ली। टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन (Vodafone) ने कर विवाद मामले में भारत सरकार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता (आर्बिट्रेशन) का केस में जीत हासिल कर ली है। दरअसल यह मामला 20,000 करोड़ रुपये (12,000 करोड़ बकाए और 7,900 करोड़ जुर्माने) को लेकर था। वही, शुक्रवार को वोडाफोन ने बताया कि, सिंगापुर के एक इंटरनेशनल कोर्ट में उसे कर विवाद के केस में भारत सरकार से जीत हासिल हुई है।
जानकारी देदे कि, 2016 में वोडाफोन ने भारत सरकार के खिलाफ सिंगापुर के इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर के पास याचिका दाखिल की थी। दरअसल यह मामला लाइसेंस फीस और एयरवेव्स के इस्तेमाल पर रेट्रोएक्टिव टैक्स क्लेम को लेकर दर्ज कराया गया था। वही, फैसले में कहा गया कि, वोडाफोन पर भारत सरकार का टैक्स लायबिलिटी थोपना, भारत और नेदरलैंड्स के बीच हुई निवेश संधि समझौते का उल्लंघन है।
जिसके बाद 2017 में वोडाफोन ने हांगकांग के हचिसन ग्रुप के मालिक Hutchison Whampoa के फ़ोन बिजनेस हचिसन-एस्सार में 11 अरब डॉलर में 67 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी थी। वोडाफोन ने अपनी नीदरलैंड और केमैन आईलैंड में स्थित कंपनियों के जरिए ये हिस्सेसदारी खरीदी थी। जिसके बाद इस डील को लेकर भारतीय इनकम टैक्स डिपार्टमेंट वोडाफोन से कैपिटल गेन टैक्स की मांग कर रहा था। इसके कुछ समय बाद रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स मांगा गया।
2007 में हुई इस डील को लेकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट लगातार विदहोल्डिंग टैक्स की डिमांड कर रहा था। आखिरकार वोडाफोन ने 2012 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की।
वही, 3 जनवरी 2013 को वोडाफोन से 14,200 करोड़ रुपए के टैक्स (बिना पेनाल्टी के) की मांग की गई। जिसके बाद 2014 में वोडाफोन ने चुनौती दी और दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बन पाई तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कंपनी को 22,100 करोड़ रुपए का टैक्स नोटिस भेज दिया था। साथ ही कहा कि, टैक्स न भरने पर वोडाफोन की भारत में स्थित संपत्ति जब्त कर ली जाएगी।