ओडिशा विधानसभा चुनाव हारने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में निवर्तमान मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जो लगातार छठी बार सत्ता में आने से चूक गए, ने शनिवार को अपने करीबी सहयोगी वीके पांडियन का बचाव करते हुए कहा कि नौकर शाही का काम करते हुवे पांडियन राजनेता बन गये है वे उत्तराधिकारी नहीं हो सकते। उन्होंने कहा ओडिशा के लोग तय करेंगे कि मेरा उत्तराधिकारी कौन होगा। पटनायक ने इन अटकलों पर प्रतिक्रिया दी और अपना रुख स्पष्ट किया।
नविन पटनायक पांडियन पार्टी में शामिल हुए और उन्होंने कोई पद नहीं संभाला। उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। एक अधिकारी के तौर पर उन्होंने पिछले 10 सालों में अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतरीन काम किया, चाहे वो दो चक्रवातों के दौरान हो या कोविड-19 महामारी के दौरान। फिर वह नौकरशाही से सेवानिवृत्त हुए और बीजद में शामिल हो गए और बेहतरीन काम करके बड़े पैमाने पर योगदान दिया।
भाजपा ने 147 सदस्यीय ओडिशा विधानसभा में 78 सीटें जीतीं, जबकि 2000 से सत्ता में रही बीजद ने 51 सीटें जीतीं। तीसरे स्थान पर रही कांग्रेस को सिर्फ 14 सीटें मिलीं। दो सीटों पर चुनाव लड़ने वाले पटनायक एक से विजयी हुए लेकिन दूसरी से हार गए।
इस बीच, लोकसभा चुनावों में भाजपा ने तटीय राज्य की 21 संसदीय सीटों में से 20 पर जीत हासिल की, जबकि बीजद ने एक सीट जीती। ओडिशा उन चार राज्यों में से एक था, जहां एक साथ चुनाव हुए थे, अन्य दो राज्य आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम थे।