पेरिस ओलंपिक 2024 के 50 किग्रा कुश्ती स्पर्धा में विनेश फोगाट ने फाइनल तक पहुंचने के बावजूद पदक से चूक जाने पर कोच वालर अकोस ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। अकोस ने हंगरी में एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से विनेश की मेहनत और संघर्ष का जो चित्रण किया, उसने हर किसी को हैरान कर दिया।
वजन घटाने की चुनौती और जोखिम
अकोस ने बताया कि सेमीफाइनल के बाद विनेश का वजन अचानक 2.7 किलो बढ़ गया। इस स्थिति से निपटने के लिए, उन्होंने एक घंटे 20 मिनट तक वर्कआउट किया और फिर भी 1.5 किलो वजन कम नहीं कर सके। इसके बाद, उन्होंने 50 मिनट तक सॉना (भाप स्नान) किया, जो आधी रात से लेकर सुबह 5:30 बजे तक चला। इसके बावजूद, वजन घटाने की इस प्रक्रिया ने विनेश की जान को खतरे में डाल दिया। अकोस ने लिखा कि उन्होंने कड़ी मेहनत की और विभिन्न कार्डियो मशीनों पर पसीना बहाया, और एक बार कुश्ती अभ्यास के दौरान वह गिर भी पड़ीं।
विनेश की हिम्मत और दृढ़ता
सभी कठिनाइयों के बावजूद, जब विनेश का वजन 100 ग्राम बढ़ गया, तो उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। लेकिन विनेश की हिम्मत और मजबूत मनोबल ने सभी को प्रेरित किया। कोच अकोस ने बताया कि विनेश ने उनसे कहा, “कोच, निराश मत होइए। मैंने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पहलवान को हराया है। मेरा लक्ष्य पूरा हो चुका है। मैंने साबित कर दिया है कि मैं सर्वश्रेष्ठ पहलवानों में से एक हूं। पदक केवल एक चीज है; हमारा प्रदर्शन अधिक महत्वपूर्ण है।”
ओलंपिक पदकों का महत्व और संदेश
अकोस ने विनेश के ओलंपिक पदकों के प्रति दृष्टिकोण को भी रेखांकित किया। उन्होंने याद किया कि पिछले साल विनेश ने बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक से अनुरोध किया था कि वे अपने ओलंपिक पदक गंगा में विसर्जित न करें। विनेश ने यह पदक अपने पास रखने की बात कही, लेकिन बजरंग और साक्षी ने उसे समझाया कि यात्रा और प्रदर्शन पदकों से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।
कानूनी लड़ाई और CAS का निर्णय
विनेश की अपील को स्पोर्ट्स आर्बिट्रेशन यानी CAS (कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स) ने खारिज कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप पेरिस ओलंपिक में उन्हें रजत पदक नहीं मिलेगा।
विनेश फोगाट की कहानी न केवल उनकी खुद की मेहनत और संघर्ष की गवाही देती है, बल्कि एक प्रेरणादायक उदाहरण भी पेश करती है कि कैसे असफलता और कठिनाइयाँ भी आत्मसमर्पण के बिना उत्साह और दृढ़ता का परिचायक हो सकती हैं।