कालिंदी कुंज के रहवासियों की सजगता, उच्च न्यायालय के कारण अब नल कनेक्शन घोटाला उजागर

Shivani Rathore
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♦️कीर्ति राणा इंदौर।

कालिंदी कुंज कॉलोनी के रहवासी वर्षों से निगम द्वारा आयोजित किए जाने वाले समाधान शिविरों में एक नल कनेक्शन के बदले अधिक कनेक्शन की राशि वसूलने की समस्या बता रहे थे। महापौर से भी मिल लिए, समस्या तो हल हुई नहीं, जल यंत्रालय और झोन क्रमांक 19 के अधिकारी धमकाते रहे कि बकाया राशि जमा नहीं की तो जो नल कनेक्शन चल रहे हैं उसे भी काट देंगे। थक हार कर कॉलोनी के रहवासियों ने उच्च न्यायालय का रुख किया।

इनकी याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति विवेक रूसिया ने नगर निगम को जांच समिति गठित करने और फर्जी नल कनेक्शन के नाम पर वर्षों से की जा रही अवैध वसूली की राशि चार माह में लौटाने के निर्देश दिए हैं।कॉलोनी के रहवासियों की जागरुकता से सामने आए इस नल कनेक्शन घोटाले के बाद अब नगर निगम के जल यंत्रालय द्वारा फर्जी कनेक्शन के नाम पर किया जा रहा घोटाला भी उजागर हुआ है।
कालिंदी कुंज कॉलोनी के अध्यक्ष अजय कुमार जैन, रवीन्द्र दुबे, शशिकांत निलोसे, स्मिता संयोग जैन,
राजेश गुप्ता, एलके माथुर, सहित 52 रहवासियों ने नर्मदा के डबल कनेक्शन तथा निगम द्वारा लिये गये अतिरिक्त जल कर की वसूली पर एडवोकेट अविरल विकास खरे के माध्यम से न्यायालय की एकल पीठ में न्यायमूर्ति विवेक रूसिया के समक्ष वाद प्रस्तुत किया था।

बिल्डर विजय गांधी ने 2004 में सभी रहवासियों से नगर निगम के नल कनेक्शन के नाम पर राशि तो वसूली लेकिन पानी की सप्लाय कॉलोनी के बोरिंग से करता रहा।2013 में इस क्षेत्र में नर्मदा की लाईन डाली गई थी तब तत्कालीन पार्षद सुशीला जामले ने रहवासियों से नर्मदा का कनेक्शन लेने को कहा। जिन रहवासियों के यहां 2004 से ही कनेक्शन थे उनके नाम पर भी जल यंत्रालय ने नल कनेक्शन जारी कर बिल की राशि वसूलना शुरु कर दी।कई रहवासियों से एक की अपेक्षा तीन-चार कनेक्शनों का जल कर वसूलने पर रहवासियों ने फर्जी कनेक्शनों की राशि देने से इंकार करने केसाथ ही निगम द्वारा हर साल संपत्ति कर, जल कर सहित अन्य करों की वसूली के लिए लगाए जाने वाले समाधान शिविरों में भी फर्जी बिलों की वसूली के संबंध में शिकायत की, महापौर से भी जल यंत्रालय की मनमानी से राहत दिलाने की मांग की लेकिन 2004 से 2013 के दौरान सतत की गई शिकायतों का जब हल नहीं निकला, डबल कनेक्शन काटे जाने और वसूली गई राशि लौटाने की सुनवाई नहीं हुई तो उच्च न्यायालय में याचिका लगाने का निर्णय लिया गया।

कॉलोनी के रहवासियों की ओर से न्यायालय में याचिका दायर करने वाले एडवोकेट अविरल विकास खरे ने बताया दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति विवेक रूसिया ने नगर निगम को जांच कमेटी बनाने और 52 घरों का निरिक्षण करने के निर्देश दिए। जांच समिति ने पंचनामा बना कर नर्मदा जल प्रदाय अधिकारी को रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में न्यायालय को बताया कि संबंधित घरों में एक-एक कनेक्शन ही हैं।जबकि निगम ने उन घरों में दो या चार नल कनेक्शन के खाते खोल रखे थे।

यह भी उल्लेखनीय है कि नगर निगम ने कालिन्दी कुँज में सन् 2013 में प्रस्ताव पास कर नर्मदा लाईन बिछाई जबकि कॉलोनाईजर द्वारा मकान बेचते समय सन् 2004 में ही नगर निगम में नल कनेक्शन करवाने का शुल्क भर कर रसीद भी दे दी और उसी आधार पर निगम में जलकर का खाता खोल कर वह जलकर वसूलता रहा।जब 2013 में लाईन डाली तब फिर से नये कनेक्शन के नाम से रहवासियों से मोटी राशि वसूल कर कनेक्शन दिया परन्तु पुराने खाते बन्द नहीं किये जिससे दो दो या अधिक बिल जनरेट होते रहे।यही नहीं नगर निगम कनेक्शन काटने की धमकी देते हुऐ दो कनेक्शनों का जलकर वसूलता रहा।

जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आए
-एक से अधिक कनेक्शन रेकार्ड में हैं।
-पानी एक ही कनेक्शन से आ रहा है
-नर्मदा जल प्रदाय 2013 से प्रारम्भ हुआ जबकि जल कर के बिल वसूली 2004 से की जा रही थी

न्यायालय ने चार माह का समय दिया
-नगर निगम के एड्वोकेट द्वारा उच्च न्यायालय से चार माह का समय यह निवेदन करते हुऐ माँगा है कि
इस बीच दो कनेक्शन किन परिस्थितियों में दिये गये
-और विवादित राशि का भुगतान किस प्रकार वादी पक्ष को किया जा सकता है इस संबंध में निराकरण कर सकेंगे। ।

उच्च न्यायालय द्वारा नगर निगम को चार माह का समय दे कर निर्देशित किया कि रहवासियों के खिलाफ किसी भी प्रकार का एक्शन नहीं लिया जाऐ तथा अधिक जमा राशि का निपटारा मई से चार महीने की अवधि में किया जाए।ऐसा नहीं करने पर वादी पक्ष (कॉलोनी रहवासी) पुनः उच्च न्यायालय की शरण ले सकते हैं।