वीना नागपाल का नाम महिला लेखन का पर्याय बन गया था – अर्जुन राठौर

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इंदौर : वीना नागपाल और महिला लेखन का एक ऐसा रिश्ता है जो इंदौर में सालों से चला आ रहा है वीना जी के बगैर इंदौर के महिला लेखन की चर्चा नहीं की जा सकती इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि नई दुनिया में जब वीना जी द्वारा अपना महिला कालम शुरू किया गया तो उसकी चर्चा सभी दूर होने लगी और इसके साथ ही नई दुनिया में महिला लेखिकाओं को वीना जी द्वारा प्रकाशित करना प्रारंभ किया गया और इस अवधि में सैकड़ों की संख्या में नई लेखिकाऐं छपने लगी।

70 के दशक से लेकर अगले तीन दशक तक नई दुनिया का साहित्य का पेज नायिका चर्चा का विषय बना रहा और उस में प्रकाशित आलेखों को लेकर साहित्य के क्षेत्र में चर्चा भी होती थी । महिला अत्याचारों से लेकर महिलाओं से जुड़े तमाम मुद्दों पर वीना नागपाल अपनी बेबाक राय प्रकट करती और इस तरह से एक बड़ा पाठक वर्ग नई दुनिया का तैयार हो गया था जो वीना जी के आर्टिकल और उनकी टिप्पणियों की प्रतीक्षा करता ।

उस दौरान ऐसी कोई घटना नहीं होती थी जिस पर वीनाजी की कलम ना चली हो खासकर महिलाओं से जुड़े तमाम मामलों को लेकर वीना जी की टिप्पणी सामने आ जाती । वीना जी ने नई दुनिया के बाद दैनिक भास्कर में भी महिला कालम लिखना शुरू किया और वहां पर भी उनका कालम खासा चर्चा का विषय बना। ओम नागपाल और वीना जी की जोड़ी शिक्षा से लेकर लेखन के क्षेत्र में एक प्रेरणा के रूप में जानी जाती थी ओम जी अपने ओजस्वी भाषण और लेखन के कारण चर्चित रहे वही वीना जी महिलाओं पर तीखा लिखने के कारण जानी जाती थी ।

उनकी बेटी दिव्या गुप्ता डॉक्टर ओम नागपाल शोध संस्थान चलाती है और वे भी चिकित्सक होने के साथ-साथ प्रखर नेत्री हैं उनका लेखन भी चर्चा का विषय बना रहता है इंदौर का साहित्य क्षेत्र कभी भी वीना नागपाल को भूल नहीं पाएगा ।