Vastu Tips : आप भी खाने की थाली में एक साथ परोस देते है 3 रोटियां, तो हो जाए सावधान, इन परेशानियों को दे रहे बुलावा

Simran Vaidya
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ज्यादातर घरों में थाली में एक साथ तीन रोटियां नहीं परोसी जाती हैं. ना ही किसी को तीन रोटियां पैक करके दी जाती हैं. इसके पीछे की असली वजह क्या है यह अधिकतर लोगों को नहीं मालुम है. लेकिन इस चीज को मानते सभी हैं. अगर घरों में छोटे बच्चे कभी तीन रोटी ले भी ले लेते हैं तो उन्हें समझाया जाता है कि यह सिर्फ रोटी के लिए ही नहीं अपितु पूड़ी-पराठे के लिए भी लागू है. 3 अंक के पीछे एक मान्यता जुड़ी हुई है. जिसे आज हम आपको बताने जा रहे हैं. शायद आपको भी इस विषय में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं होगी.

3 अंक को माना गया है बेहद अशुभ

Vastu Tips: खाने में एक साथ नहीं परोसी जातीं 3 रोटियां, जानें क्या है कारण

ज्योतिष विद्या में 3 की संख्या को अच्छा नहीं माना गया है. 3 अंक को पूजा-पाठ या आम जनजीवन में भी नहीं शामिल करते हैं. जिस कारण से इसे और ज्यादा अशुभ माना जाता हैं. साथ ही ऐसी मान्यता भी है कि मृतक के नाम से लगाई जाने वाली भोजन की प्लेट में 3 रोटियां रखी जाती हैं. जिसके कारण जीवित व्यक्ति की थाली में 3 रोटियां रखना अशुभ माना जाता है. इसलिए घरों में प्लेट में तीन रोटियां नहीं दी जाती हैं. अक्सर थाली में तीन रोटी परोसने से बचा जाता है. इसी कारण किसी भी चीज को तीन की संख्या में नहीं परोसते हैं.

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एक साथ नहीं खानी चाहिए 3 रोटियां

वैसे यदि देखा जाए तो खाने में तीन रोटियां एक साथ इसलिए भी नहीं खानी चाहिए क्योंकि शरीर का वेट एक दम तेजी से बढ़ता है. इसको नियंत्रण में रखने के लिए एक वक्त में दो रोटियां यथोचित मानी गई हैं. साथ में एक कटोरी दाल, 50 ग्राम चावल और एक कटोरी सब्जी सबसे अच्छा आहार होता है. हल्का आहार लेने से आपका शरीर हमेशा फिट और तरोताजा रहता है और ऊर्जावान भी. ज्यादा भोजन करने से शरीर का फैट बढ़ता है और आलस भी बना रहता है. इन सब चीजों से बचाव के लिए अक्सर एक वक्त पर साधारण आहार लेना चाहिए.

वैज्ञानिक आधार कोई नहीं

खाने की थाली में रोटी परोसने का वैज्ञानिक आधार कोई नहीं है. इसके पीछे सही मान्यता क्या है यह तो कोई नहीं जानता है. मगर यह बात सदियों से चली आ रही है. इस वजह से सभी लोग इसका पालन जरूर करते हैं. मगर वैज्ञानिकों ने इसके पीछे कोई कारण नहीं बताया है. यह लोगों की बनाई गई मान्यता है. इसलिए लोग सदियों से मानते आ रहे हैं और आज भी घरों में ये मान्यता चली आ रही है.

(Disclaimer: इस खबर में लिखी/बताई गई सूचनाएं और जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Ghamasan.com किसी भी तरह की पुष्टि नहीं करता है.)