अर्जुन राठौर
इंदौर की पकात्ररिता का जब भी जिक्र होता है तब राजेंद्र माथुर प्रभाष जोशी और राहुल बारपुते का नाम लिया जाता है लेकिन इंदौर की पत्रकारिता में वसंत पोद्दार ने जो धूम मचाई थी उसकी चर्चा कोई नहीं करता । आखिर क्या वजह है कि वसंत पोद्दार का नाम इंदौर की पत्रकारिता से विस्मृत कर दिया गया ?
आज की पीढ़ी को शायद ही इस बात का अंदाजा होगा कि वसंत पोद्दार की रविवार में प्रकाशित एक रिपोर्ट ने मध्य प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया था और इसके कारण विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष यज्ञदत्त शर्मा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था । यह बात उस समय की है जब अर्जुन सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और इंदौर से यज्ञदत्त शर्मा विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए थे यज्ञदत्त शर्मा महत्वाकांक्षी राजनीतिज्ञ थे और उन्होंने पहली बार विधानसभा अध्यक्ष के पावर का इस्तेमाल करते हुए यह कोशिश की कि उनके पक्ष में अधिक से अधिक विधायक हो जाए लेकिन उन्हें पता नहीं था कि उनका मुकाबला मध्य प्रदेश की राजनीति के चाणक्य अर्जुन सिंह से था इसी बीच यज्ञदत्त शर्मा के नाम से कई लोगों ने भूमि घोटाले के खेल खेलना शुरू कर दिए थे । इसी को लेकर खोजी पत्रकार वसंत पोद्दार ने एक रिपोर्ट उस समय के सबसे चर्चित हिंदी साप्ताहिक रविवार पत्रिका में भेजी जिसे संपादक सुरेंद्र प्रताप सिंह ने रविवार के कवर पेज पर प्रकाशित कर मध्य प्रदेश की राजनीति में भूचाल सा ला दिया इस रिपोर्ट के प्रकाशित होते ही यज्ञदत्त शर्मा विरोधी लॉबी सक्रिय हो गई और उनसे इस्तीफे की मांग की जाने लगी इसी बीच रिपोर्ट के प्रकाशन से बौखलाए यज्ञदत्त शर्मा को उनके किसी शुभचिंतक ने यह सलाह दी कि वे रविवार और दिनमान जिसमें बाद में यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई के संपादकों को विधानसभा में विशेषाधिकार समिति के समक्ष बुलवाएं ।
कहते हैं जब बुरा समय आता है तो बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है यज्ञदत्त शर्मा के साथ भी ऐसा ही हुआ उन्होंने
इस सलाह को मानकर अपने जीवन की सबसे बड़ी राजनीतिक भूल आखिर कर ही दी दोनों संपादकों को विधानसभा में पेश होने के लिए नोटिस जारी कर दिए गए । इसी बीच यह पूरा मामला तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी तक पहुंचा और दिल्ली के संपादकों का एक बड़ा समूह इंदिरा जी से मिलने के लिए पहुंच गया वहां उन्होंने यज्ञदत्त शर्मा द्वारा जारी किए गए नोटिस पर आपत्ति लेते हुए अपना विरोध दर्ज कराया इसके तुरंत बाद इंदिरा जी ने यज्ञदत्त शर्मा का इस्तीफा मांग लिया और इस तरह से यज्ञदत्त शर्मा के राजनीतिक पतन की शुरुआत हुई उनके इस पतन में इंदौर के सबसे बड़े खोजी पत्रकार बसंत पोद्दार ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
रविवार पत्रिका तब देश की सबसे शक्तिशाली राजनीतिक पत्रिकाओं में से एक मानी जाती थी इसके बाद बसंत पोद्दार ने
तत्कालीन गृहमंत्री हजारीलाल रघुवंशी पर भी एक रिपोर्ट प्रकाशित करवाई जिसके बाद हजारीलाल रघुवंशी को भी अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा ।
असल में वसंत पोद्दार एक यायावर किस्म के पत्रकार थे और उन्होंने मराठी साहित्य के साथ-साथ हिंदी पत्रकारिता को भी अपना खासा योगदान दिया उनकी एक किताब यायावर की डायरी भी बहुत प्रसिद्ध हुई थी
लेकिन वसंत पोद्दार को कभी भी इंदौर में याद नहीं किया गया वसंत पोद्दार से उस समय के कई युवा पत्रकार प्रेरणा लेते थे । सबसे बड़ी बात यह है कि आज के मशहूर अभिनेता नाना पाटेकर वसंत पोद्दार के मुरीद हैं आज भी अगर कोई मुंबई जाकर नाना पाटेकर से बसंत पोद्दार का जिक्र करता है तो वे बेहद सहज होकर उनके बारे में चर्चा करने के लिए बैठ जाते हैं । वसंत पोद्दार ने बाबा आमटे के आश्रम में भी अपनी सेवाएं दी थी और वहीं पर उनकी शादी भी हुई उनकी पत्नी एयर इंडिया में नौकरी करती थी जो शायद अब रिटायर हो गई है वसंत पोद्दार के भाई अच्युत पोद्दार हिंदी सिनेमा के जाने-माने अभिनेता रहे हैं ।