कोरोना ने बदला त्यौहार का अंदाज, बकरा नहीं केक काटकर मनेगी बकरीद

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नई दिल्ली: कोरोना काल में सभी त्यौहारों के रंग फीके पड़ते दिखाई दे रहे है। बस औपचारिकताओं को निभाकर त्यौहार की ख़ुशी मनाई जा रही है। आज बकरीद मनाई जा रही है। मुस्लिमों के इस त्यौहार पर भी कोरोना का असर पड़ा है और कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला है। बकरीद पर बकरा मंडी की जगह बेकरी की दुकान पर भीड़ देखने को मिला।

दरअसल, इस बार लोग बकरा खरीदने की जगह बकरे की तस्वीर वाला केक बनवा रहे है। मामला वाराणसी का है। शहर के भैरवनाथ इलाके की एक बेकरी शॉप पर जुटे मुस्लिम समाज के युवकों में से एक मोहम्मद मुमताज अंसारी ने बताया कि कोरोना बीमारी से उबरने के लिए शासन-प्रशासन बहुत मेहनत कर रहा है, इसीलिए हम सभी ने भी सोचा है कि हम भी उनका साथ दें।

उनका कहना है कि इसी तरीके को अपनाकर घर पर रहकर शांति और सादगी के साथ बकरीद का पर्व मनाया जा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि कोरोना काल में बकरा खरीदना तो सपना हो गया है। इस वक्त खाना ही खा लिया जाए तो बहुत बड़ी बात है. इसीलिए परंपरा को निभाने के लिए केक खरीदकर काटा जाएगा।

तो वहीं एक अन्य खरीदार मोहम्मद सोनू ने भी बताया कि इस बार बकरीद पर कोई विशेष तैयारी नहीं हो सकी है क्योंकि कोरोना की वजह से तंगी चल रही है. इसीलिए सोचा गया कि बकरे की तस्वीर वाले केक को काटकर बकरीद मनाई जाए और सभी से अपील भी है कि सभी ऐसे ही बकरीद मनाएं। कुर्बानी न देते हुए घर पर सादगी के साथ ही केक काटकर बकरीद मनाएं।

बेकरी दुकानदार बताते हैं कि इस बार बकरीद पर उनकी दुकान पर बकरे की तस्वीर वाले केक के काफी ऑर्डर आए। इसके अलावा बकरे आकार का केक भी डिमांड में है। यह केक अलग-अलग फ्लेवर में पांच सौ रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक का है। उनका कहना है कि केक के ऑर्डर इतने ज्यादा हैं कि 10 किलोग्राम का काम अभी पेंडिंग भी पड़ा हुआ है। रोज की तुलना में बकरीद के चलते प्रति दिन 50 किलोग्राम तक का काम बढ़ गया है।