कोरोना काल के दौरान समस्त साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों पर विराम लग गया था लेकिन शहर की संस्था
वामा साहित्य मंच ने इस दौरान भी अपनी सक्रियता बनाए रखी और लेखन की निरंतरता बनाए रखी। इसी का सुपरिणाम है कि सदस्यों की रचनाओं की 4 पुस्तकों ने आकार ग्रहण किया। गत शनिवार 23 अक्टूबर को इन 4 किताबों का मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ.विकास दवे और प्रोफेसर कला जोशी के हाथों लोकार्पण हुआ।
ये पुस्तकें हैं शब्द यात्रा, धरा की हरीतिमा,जीवनदायिनी नदियाँ और गागर में सागर इनमें से दो ई-पुस्तकें हैं और दो प्रकाशित पुस्तकें बड़ी बात यह है कि इन्हें वामा साहित्य मंच की ही सदस्यों ने संकलित और सम्पादित किया है। कोरोना काल में अपने सद्स्यों को निराशा से बचाने और सक्रियता बनाए रखने के उद्देश्य से यह तय किया गया कि आयोजन पूर्ववत प्रति माह होंगे बस मिलना चाहे प्रत्यक्ष न हो पर ऑनलाइन जुड़े रहेंगे और इसी दौरान रचे गए लेखन को संग्रहित कर पुस्तक का आकार दिया गया। विमोचन अवसर पर अध्यक्षता कर रहे डॉ. विकास दवे ने कहा कि वामा साहित्य मंच ने कठिन कोरोना काल में भी अपनी रचनात्मकता को बनाए रखा और उसे संजो कर प्रस्तुत भी किया यह प्रशंसनीय है मंच ने अपना नाम और काम गरिमामयी तरीके से आगे बढ़ाया है और पूरे आत्मविश्वास व एकता का परिचय देकर अपना वर्चस्व स्थापित किया। है।
आयोजन में अतिथि के रूप में शामिल डॉ. कला जोशी ने कहा कि इन पुस्तकों को देखकर लगता है कि वाकई लेखन की ताकत और निरंतर सक्रियता से ही वामा साहित्य मंच की पहचान बनी है। आरंभ में मंच की अध्यक्ष अमर खनूजा चड्डा ने स्वागत उद्बोधन दिया उपाध्यक्ष ज्योति जैन, सचिव इंदु पाराशर, व सदस्यों सहित शहर के गणमान्य साहित्यप्रेमियों की उपस्थिति रही। दिव्या मंडलोई ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।अतिथि परिचय वैजयंती दाते ने दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.प्रतिभा जैन ने किया तथा आभार माना शारदा गुप्ता ने।