उषा ठाकुर ने 1857 के ‘मुक्ति संग्राम’ के शहीदों को किया नमन

Shivani Rathore
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भोपाल : संस्कृति, पर्यटन और आध्यात्म मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने 1857 के ‘मुक्ति संग्राम’ के अमर वीर शहीदों को नमन किया है। सुश्री ठाकुर ने आजादी के अमृत महोत्सव पर 1857 के ‘मुक्ति संग्राम’ के अमर शहीदों को स्मरण करते हुए कहा कि मंगल पांडे से शुरू करूं या मेरठ के गलियारों से हाहाकारों से शुरू करूं या हर-हर बम के नारों से तो क्यों न इसको शुरू करूं भारत माँ के जयकारों से। मंत्री सुश्री ठाकुर ने कहा कि हमारे क्रांतिवीरों ने अपना तन-मन-धन, सर्वस्व देश की स्वतंत्रता को समर्पित किया। ‘वंदे-मातरम’ नाम का यह महामंत्र, उन्हें वेद मंत्रों से भी अधिक वंदनीय था। उन्होंने देश की संस्कृति और राष्ट्र की अस्मिता, मान-सम्मान के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।

सुश्री ठाकुर ने अमर शहीद मंगल पांडे सहित संपूर्ण क्रांतिकारियों को कोटि-कोटि नमन किया और प्रभु से प्रार्थना की कि उनके जैसी त्याग बुद्धि हमें भी दें। हमें ऐसी हिम्मत, ऐसी ताकत, ऐसा साहस दें जिससे हम स्वतंत्र देश की व्यवस्थाओं को सुधार सकें और अपने पूर्वजों की पावन परंपराओं का निर्विघ्न निरंतर निर्वहन करते रहें। सुश्री ठाकुर ने सभी से यह प्रण करने का आह्वाहन किया कि अगर देश हित में मरना पड़े, मुझको सहस्त्रों बार भी, तो भी मैं इस कष्ट को निजी ध्यान में न लाऊं कभी। हे ईश्वर, इस भारतवर्ष में सहस्त्र बार मेरा जन्म हो सदा ही, कारण सदा ही मृत्यु का देशों उपकारक कर्म हो। ‘जय हिंद’

सुश्री ठाकुर ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में इस लड़ाई को ‘मुक्ति संग्राम’ के नाम से जाना जाता है। इस संग्राम ने भारतीयों में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजा दिया था और पूरे देश की जनता इस संग्राम में शामिल हो गई थी। सुश्री ठाकुर ने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि आजादी जब अपनी जड़े जगाती है, तब तेजी से एक विकासशील और स्वतंत्र नींव बन जाती है। ब्रिटिश शासन के अत्याचार और शोषण से परेशान भारतीय जनता ने इस लड़ाई के जरिये ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी। जात-पात और धर्म से ऊपर उठकर आजादी की इस लड़ाई में समाज के हर वर्ग ने हिस्सा लिया और ‘मुक्ति संग्राम’ ने राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले लिया। इस विद्रोह का परिणाम यह हुआ कि भारत में असंगठित राजा महाराजा, सामंत और रियासतें जो बिखरी पड़ी थी, उन सब में राष्ट्रवाद तथा भारत के पुनःनिमार्ण का बीज बो दिया।