महिलाओं में यूरोलॉजी से संबंधित ब्लैडर और किडनी के कैंसर के केस कम पाए जाते हैं, लेकिन स्मोकिंग और अल्कोहल के चलन से यह धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं – Dr. Abhishek Laddha Urologist Vishesh Jupiter Hospital

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इंदौर। वर्तमान समय में यूरोलॉजी में बहुत ज्यादा पॉजिटिव बदलाव आने लगे हैं पहले अल्ट्रासाउंड इतना कॉमन नहीं हुआ करता था। लेकिन आज टेक्नोलॉजी और लोगों में जागरूकता की बदौलत प्रॉस्टेट कैंसर, किडनी कैंसर और ब्लैडर कैंसर जैसे पेशेंट की जांच कर इसे सही समय पर इलाज करना संभव हो गया है। पहले किडनी से संबंधित कैंसर में किडनी को निकालना होता था लेकिन आजकल टेक्नोलॉजी के चलते इसमें मौजूद कैंसर की गांठ को निकालकर उसे ठीक किया जा सकता है।

इसी के साथ लोगों में इन बीमारियों को लेकर काफी ज्यादा जागरूकता बढ़ी है अब लोग इसे नजर अंदाज करने के बजाय इसका ट्रीटमेंट लेना पसंद करते हैं। हमारे देश में बाहरी दुनिया के मुकाबले कम रेट पर सोनोग्राफी टेस्ट और अन्य जांचे उपलब्ध होती है इसका फायदा मरीजों को कहीं ना कहीं मिलता है। लोगों द्वारा रूटीन टेस्ट करवाने से बीमारी पनपने से पहले ही पकड़ में आ जाती है और उसका ट्रीटमेंट कर दिया जाता है जो कि एक सकारात्मक पहलू है।यह बात डॉक्टर अभिषेक लड्ढा ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही व शहर के प्रतिष्ठित विशेष जूपिटर हॉस्पिटल में यूरोलॉजिस्ट सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

सवाल. प्रोस्टेट कैंसर क्या है और इसके सामान्य लक्षण क्या होते हैं जिससे पता लगाया जा सकता है

जवाब. बात अगर प्रोस्टेट कैंसर की करी जाए तो इसको लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है। पहले के मुकाबले पेशेंट इसे नजरंदाज नहीं करते हैं इस वजह से समस्या बढ़ने से पहले इसका ट्रीटमेंट कर दिया जाता है। प्रोस्टेट कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि में होता है जो पेशाब की थैली और लिंग के बीच में पाई जाती है। कई बार लोगों में प्रोस्टेट कैंसर के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं वहीं कई बार सामान्य रूप से इसमें पेशाब बार बार आना, रुक रुक कर आना, पेशाब करने के बाद संतोष नहीं होना, पेशाब में खून आना एल शामिल है। कई पेशेंट में यह जेनेटिक रूप से भी देखने को सामने आता है। यह कैंसर केवल पुरुषों में पाया जाता है वहीं यह यंग एज के मुकाबले ओल्ड एज में ज्यादा पाया जाता है। इसे अगर पहले स्टेज में पता कर ट्रीटमेंट कर दिया जाए तो इसे काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।

सवाल. किडनी से संबंधित कैंसर में किस प्रकार बढ़ोतरी हुई है क्या लाइफस्टाइल की वजह से यह समस्या देखने को सामने आ रही है

जवाब. मॉडर्न लाइफ स्टाइल में बढ़ते धूम्रपान, अल्कोहल और केमिकल एक्स्पोज़र की वजह से किडनी के कैंसर के केस में बढ़ोतरी हुई है
आज से कुछ समय पहले किडनी के कैंसर में आमतौर पर पेट में गांठ बनना, दर्द होना, पेशाब में खून आना ऐसी समस्याएं सामान्य लक्षण की और इशारा करती थी। वही कई बार देरी की वजह से यह समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती थी लेकिन आज के समय में अल्ट्रासाउंड की मदद से इसे प्रि स्टेज में ही पता कर ट्रीटमेंट किया जा सकता है। पहले किडनी में कैंसर होने पर किडनी को रिमूव किया जाता था लेकिन आज टेक्नोलॉजी और एडवांस ट्रीटमेंट के चलते हैं उसके अंदर बनने वाली कैंसर की गांठ को निकालकर इसे ठीक किया जा सकता है।

कई बार अनकंट्रोल्ड ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की वजह भी किडनी से संबंधित समस्या के रिस्क को बढ़ा देती है। किडनी कैंसर से संबंधित समस्या महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में ज्यादा पाई जाती है। वही इसके एज के हिसाब से अलग-अलग वेरिएंट होते हैं जिसमें यंग जनरेशन में ट्यूबिलोसिस्टीक वेरिएंट देखने को मिलता है। सामान्यता किसी भी कैंसर में किसी सेल की एबनॉर्मल ग्रोथ होती है तो वह धीरे-धीरे कैंसर की गांठ का रूप ले लेती है। वर्तमान समय में अल्कोहल और धूम्रपान करना फैशन बन गया है इसी के चलते महिलाओं में भी किडनी के कैंसर कारण देखे जा रहे हैं। वहीं इसका रिस्क भी इसके कम या ज्यादा सेवन पर निर्भर करता है।

सवाल. ब्लैडर कैंसर क्या है यह किस वजह से होता है, क्या इसके केसेस महिलाओं में भी बढ़ रहे हैं

जवाब. किडनी से पेशाब बनकर पेशाब की थैली में इकट्ठा होता है उसे ब्लैडर कहा जाता है आज के दौर में इससे संबंधित कैंसर भी पाए जा रहे हैं। इसके कारण की अगर बात की जाए तो स्मोकिंग और केमिकल डाइस की फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों में यह कॉमनली रूप से पाया जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण है तो वह है टोबैको का सेवन करना फिर चाहे वह किसी भी फॉर्म में हो। अगर इसे मेडिकल टर्म में समझे तो ब्लैडर में मौजूद सेल एबनॉर्मल रूप से बढ़कर कई बार कैंसर में कन्वर्ट हो जाते हैं।

वहीं इसके लक्षण की अगर बात की जाए तो पेशाब में ब्लड आना एल, खून के थक्के आना शामिल है। कई बार इसमें ट्रीटमेंट के दौरान पेशाब की थैली के अंदर मौजूद कैंसर सेल को निकाल लिया जाता है वहीं कई बार पेशाब की थैली के आसपास फैलने की वजह से ब्लैडर को निकालना पड़ता है। अभी वर्तमान समय में यह महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में ज्यादा पाया जाता है वहीं अगर स्मोकिंग का चलन ऐसा ही रहा तो बहुत जल्द ही महिलाओं में इसके केस बढ़ेंगे।

सावाल. अपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है

जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज से पूरी की इसके बाद एमएस की पढ़ाई है मुझे मेडिकल कॉलेज से पूरी की। यूरोलॉजी में स्पेशलाइजेशन मुलजीभाई पटेल यूरोलॉजिकल हॉस्पिटल नडियाद से करी है। इसी के साथ यूरो ऑंकोलॉजी में फैलोशिप अमृता हॉस्पिटल कोची से कंप्लीट की यूरोलॉजी में एडवांस ट्रेनिंग यूएसए कंप्लीट की। मैंने अपनी फैलोशिप ट्रेनिंग और पढ़ाई पूरी करने के बाद शहर के सीएचएल हॉस्पिटल में भी अपनी सेवाएं दी हैं अभी वर्तमान में में इंदौर के प्रतिष्ठित विशेष जुपिटर हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।