नई दिल्ली : केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास(डोनर), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंहने आज कहा कि वर्तमान समय मेंलोक सेवक के लिए नियम से ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका है।
47वें एपीपीपीए (एडवांस प्रोफेशनल प्रोग्राम इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन) के प्रतिभागियों के साथ बातचीत करते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा किप्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने एक प्रस्ताव पेश किया था जिसे 2 सितंबर, 2020 को कैबिनेट में मंजूरी प्रदान की गई थी, इस प्रकार सेमिशन “कर्मयोगी” –द नेशनल प्रोग्राम फॉर सिविल सर्विस कैपेसिटी बिंल्डिंगके लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीसीएससीबी) का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।यह एक ऐतिहासिक कदम है जिसका उद्देश्य समकालीन भारत की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय नौकरशाही की फिर से कायापलट करना और भारतीय प्रशासनिक सेवाओं को इस प्रकार से पुनर्गठित करने का प्रयास करना है जिससे कि प्रत्येक अधिकारी नियमों के साथ बंधे रहने के बजाय उन्हें सौंपी गई भूमिका का सर्वोत्तम निर्वहन करने के लिए सुसज्जित, प्रशिक्षित, अपडेट और अनुकूल बनें।
मंत्री ने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, आईआईपीए, नई दिल्ली में स्वर्गीय टी एन चतुर्वेदी के नाम पर एक व्याख्यान हॉल का भी उद्घाटन किया। मंत्री ने कहा कि यह उनके लिए एक यादगार और गौरवान्वित महसूस करने का दिन है क्योंकि व्यक्तिगत रूप से उनकी एक बड़ी प्रतिच्छायाकायम रही है, क्योंकि श्री चतुर्वेदी एक महान व्यक्तित्ववाले व्यक्ति थे जिन्होंने अपने कठिनकैरियर के दौरान विभिन्न पदों पर काम किया।चतुर्वेदी एक बहुआयामी व्यक्तित्व और उच्च निष्ठा वाले व्यक्ति थे, जिन्होंने आईएएस अधिकारी, भारत के सीएजी, दो बार संसद सदस्य (राज्यसभा), राज्यपाल और कई अन्य पदों पर कार्य किया था।
डॉ जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक रूप से निर्धारित किए गए विभिन्न मापदंडों के आधार पर देश के प्रत्येक जिले कासमुचित रूप से उत्थान करने के लिए एक वैज्ञानिक और उद्देश्यपूर्ण योजना के रूप में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कल्पित और प्रेरित आकांक्षापूर्ण जिला कार्यक्रम (एडीपी) का वर्णन करते हुए कहा कि यह उपयोगी साबित होगा, अगर एपीपीए कार्यक्रम के प्रतिभागी आकांक्षी जिलों का दौरा करेंगे और कार्यक्रमों का अध्ययन करने के लिए वहां समय बिताएंगे और अपनी जानकारी साझा करेंगें।
मंत्री को सूचित किया गया कि 46वें एपीपीपीए पाठ्यक्रम में प्रतिभागियों को उनके ग्रामीण, शहरी और विकसित क्षेत्रों का दौरा करने के एक भाग के रूप में गुजरात, सिक्किम, दार्जिलिंग जाने का अवसर प्राप्त हुआ और आईआईपीए ने उनके लिए भारत-चीन सीमा संघर्ष, भारत-पाकिस्तान संबंध, मिशन कर्मयोगी एवं एफआरएसी रणनीति, नई शिक्षा नीति आदि जैसे बहुतही प्रासंगिक विषयों पर विशेष व्याख्यान और वार्ता का आयोजन किया, जिसके माध्यम से46वें एपीपीपीए के प्रतिभागियों का ज्ञान समृद्ध हुआ।
डॉ जितेंद्र सिंह ने यह बताते हुए खुशी महसूस किया कि आईआईपीए द्वारा 46वें एपीपीपीए पाठ्यक्रम की शुरुआत के दौरान एपीपीपीए प्रतिभागियों के लिए एक उत्कृष्ट समिश्रित कार्यक्रम तैयार और विकसित किया गया।उन्होंने कहा कि इस महामारी के दौरान बहुत ही कम संस्थान ऑनलाइन रूप से इस प्रकार के दीर्घकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन करने में सक्षम हो सके हैं और साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस वर्ष भी 47वें एपीपीपीए पाठ्यक्रम की शुरुआत निर्धारित समय पर हुईहै और आईआईपीए और ज्यादा उत्कृष्ट स्ट्रीमों और सामग्रियों को साथ लेकर आया है।
एपीपीपीए पाठ्यक्रम की शुरुआत 1975 में हुई थी जिसको मध्यम स्तर के सिविल सेवकों और सुरक्षा बलों के अधिकारियों के लिए डिजाइन किया गया था, जो कैरियर के मध्य खंड में प्रशिक्षण के रूप में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम था। 1975 से लेकर अब तक 1580 से ज्यादा अधिकारी इस पाठ्यक्रम में शामिल हो चुके हैं और यह कार्यक्रम आईआईपीए का फ्लैगशिप कार्यक्रम बना हुआ है।
एपीपीपीए, मध्यम स्तर के अधिकारियों के लिए उपयोगी विषयों पर काम करता है जिससे वे और अधिक जिम्मेदार नेतृत्व प्रदान कर सकें और निर्णय लेने वाली स्थिति के लिए तैयार हो सकें। इसमें मापदंडों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल की गई है जो किलोक प्रशासन, वित्त, डिजिटल गवर्नेंस, साइबर सुरक्षा, कृषि अर्थशास्त्र, शहरी शासन और और उपभोक्ता संरक्षण से लेकर पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और सामाजिक प्रणालियों तक है। इनके साथ-साथ, इसमें वास्तविक साइटों के लिए भी अलग-अलग एक्सपोजर विजिट शामिल किए गए हैं जैसे शहरी/ग्रामीण यात्राएं और विकसित क्षेत्रों का दौरा आदि। मंत्री ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि कुल मिलाकर, मेरे विचार से प्रतिभागियों को इस पाठ्यक्रम से बहुत लाभ प्राप्त होगा।