बेरोजगार श्रमिक ने कोरोना काल में जमाया अपना बिजनेस, आज कर रहे लाखों का व्यापार

anukrati_gattani
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कोरोना में बहुत कुछ हुआ, कईयों की नौकरियां गई तो कईयों ने अपने खुदके बिजनेस शुरू कर दिए। ऐसे ही एक असम के शक्स गोहपुर से दिगांता दास किसी समय पर साउथ इंडिया में पैकेज खाद्य इंडस्ट्री में श्रमिक थे। वहीं, कोरोना में उनकी नौकरी गई तो वो वापस घर लौटे। पर, आज वो उनका खुद का व्यापार कर रहें है।
दिगांता असम में ‘डेली फ्रेश मल्टीलेयर परोटा’ नाम से अधपके पराठे बेचते है। उन्होंने असम में इसकी कई ब्रांच खोली है। यह आउटलेट्स लखीमपुर, विश्वनाथ चैराली, तिनसुकिया और तेजपुर यहां पर खोल रखें है। पार्टनरशिप में ड्रिब्रूगढ़ और जोरहाट में भी केन्द्र खोल रखें हैं। आपको बता दें कि हर आउटलेट से रोजाना कम से कम 1200 पराठों के पैकेट बिकते है। इन पराठों का एक पैकेट 60 रुपए का है। जिसमें 5 पराठे के पीस मिलते है।

 

गुवाहाटी के मृणाल तालुकदार ने ट्विटर पर दिगांता की सफलता भरी कहानी साझा की। मृणाल तालुकदार ने लिखा “दिगंत दास, दक्षिण भारत के पेकेज खाद्य उद्योग के एक श्रमिक, कोविड के दौरान घर लौटे और उन्होंने बिश्वनाथ चराली और लखीमपुर में छोटे पैकेज्ड परोठा बनाने की इकाइयाँ खोलने का साहस किया। तेजपुर से तिनसुकिया तक बाजार पर कब्जा करने वाले प्रत्येक केंद्र पर प्रतिदिन औसत 1200 पैकेट बेचें।”
मृणाल ने आगे ट्वीट में लिखा, “दो अन्य पार्टनर्स के साथ, और दक्षिण भारत की प्रौद्योगिकी और मशीनरी, वे बेहतरीन पैकेजिंग के साथ बेहतरीन गुणवत्ता वाले परोठा का उत्पादन कर रहे हैं, जो आधे बने परोठे के लिए उपयोग नहीं किए जाने वाले बाजार को पकड़ रहा है। प्रत्येक इकाई में 10-12 लोग कार्यरत हैं।”
उन्होंने अपने ट्वीट में आगे लिखा, “गोहपुर के दिगंता दास ने कहा कि इसी तरह की इकाइयां जोरहाट और डिब्रूगढ़ में भी समान लोगों द्वारा साझेदारी में चल रही हैं। जबकि उन्हें ब्रांड बाजार में जाना जाता है।”