भोपाल : प्रदेश कांग्रेस महामंत्री व मीडिया प्रभारी के.के.मिश्रा ने कोरोना महामारी को लेकर अब प्रदेश के मोर्चे पर सेना व उच्च न्यायालय, जबलपुर की तल्ख टिप्पणियों के बाद सरकार को पूरीतरह असफल,नाकारा,अकर्मण्य और निकम्मी बताते हुए कहा कि अब इससे जुड़ी वास्तविक खबरें,मौतों के आंकड़े आमजन तक न पहुंचे इसलिए सरकार ने कलेक्टरों के माध्यम से अब मीडिया संस्थानों, संवाददाताओं को भी आतंकित करना शुरू कर दिया है! लाशों के ढेर पर पूरा प्रदेश दिखाई दे रहा है, स्थितियां बेकाबू हो रही हैं। लिहाज़ा प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया जाये।
आज जारी अपने बयान में मिश्रा ने कहा कि मोर्चे पर सेना,सैन्य अस्पतालों में संक्रमितों के इलाज़ के फ़ैसले ने भी यह साबित कर दिया है कि राज्य सरकार अन्य मोर्चों के साथ इस महामारी के दौर में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर पूरी तरह फ़्लाफ़ हो गई है। 16 सालों में जो “प्रचारवादी सरकार” अस्पताल,बेड,ऑक्सीजन, दवाओं के साथ अन्य चिकित्सकीय सेवाएं ही नहीं जुटा सकी उससे और क्या उम्मीद की जा सकती है? उन्होंने ने कहा जिस तरह स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति सरकार की अकर्मण्यता,लापरवाही सामने आई है, उसी तरह समीपस्थ राज्यों से लॉकडाउन की वजह से मज़दूरों के पलायन को लेकर भी वह बेपरवाह है। आज दिल्ली से टीकमगढ़ जा रही बस दुर्घटना में कई घायलों सहित हुई अन्य मौतें भी इसी आरोप की परिणिति है!
मिश्रा ने कहा कि कोविड-19 के पहले और दूसरे दौर में कोरोना संक्रमण से जूड़ी दवाओं की खरीदी, काढ़े, इसकी पेकिंग व ख़रीदियों में कमीशनखोरी व दुरावस्थाओं के प्रामाणिक आरोप लगे हैं। अस्पतालों, ऑक्सीजन, बेड की कमी, 60-60 हज़ार में बेड्स की उपलब्धता, 35-35 हज़ार में रेमडेसिविर इंजेक्शन की सतत जारी काला बाज़ारी,मौत के आंकड़ों को छुपाने के प्रामाणिक आरोपों से घिर चुकी सरकार ने अब मीडिया पर लगाम लगाने का घृणित काम चालू कर दिया है!
लगभग 8 जिलों के कलेक्टरों ने अस्पतालों में न केवल मीडिया रिपोर्टरों के प्रवेश पर अघोषित प्रतिबंध लगा दिया है,बल्कि कलेक्टर खंडवा ने तो प्रमुख दैनिक भास्कर के स्थानीय दफ्तर में अनुविभागीय अधिकारी से प्रवेश द्वार पर इस विषयक नोटिस चस्पा कर उसके संवाददाता से बदसलूकी भी की है,यह अपने पाप छुपाने के लिए अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सीधा हमला है। लिहाज़ा मौजूदा हालातों में स्पष्टतः दिखाई दे रहा है कि राज्य सरकार हर मोर्चे पर असफल,अकर्मण्य,नाकारा और निकम्मी होकर अब अपनी खरीदी हुई (निर्वाचित नहीं) राजनैतिक शक्ति का दुरुपयोग कर लोकतंत्र सहित अभिव्यक्ति की आज़ादी का भी गला घोटने पर आमादा हो चुकी है।अतः प्रदेश में अविलंब राष्ट्रपति शासन लगाया जाए।