अंततः एजुकेशन हब बने इंदौर की कोरोना वायरस ने वाट लगा ही दी

Akanksha
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अर्जुन राठौर
 देश के शैक्षणिक नक्शे पर तेजी से उभर रहे इंदौर की अंततः कोरोनावायरस ने पूरी तरह से वाट लगा कर रख दी जो इंदौर लगभग 5,6 लाख छात्र-छात्राओं से गुलजार रहता था वहां अब सन्नाटा है ,शहर के सारे हॉस्टल्स बंद पड़े हुए हैं और कोचिंग क्लास भी पूरी तरह से बंद हो गई है कुछ स्थानों पर जरूर ऑनलाइन एजुकेशन कराया जा रहा है , सवाल इसी बात का है कि कोरोना वायरस ने किस तरह से इंदौर की शैक्षणिक रौनक को समाप्त कर दिया है । पिछले कुछ वर्षों में तेजी से इंदौर एजुकेशन हब के रूप में उभर रहा था और यही वजह थी कि यहां पर सैकड़ों की संख्या में बड़ी-बड़ी कोचिंग क्लासेस खुल गई थी और इसके अलावा छात्र छात्राओं के लिए हजारों हॉस्टल खुल गए थे शहर के रेस्टोरेंट, भोजनालय ,टिफिन सेंटर भी इन्हीं बच्चों की बदौलत चला करते थे लेकिन 2 महीने से अधिक समय के लॉकडाउन और उसके बाद कोरोना का कहर समाप्त नहीं होने के कारण अब इन सब के भी भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया है सोचने वाली बात यह भी है कि आने वाले समय में इंदौर के एजुकेशन हब की स्थिति क्या रहेगी  ? कोचिंग क्लास किस तरह से  चलाएंगे ,उनमें कितनी दूरी मेंटेन की जाएगी कोचिंग क्लासेस आने के लिए जो वाहन उपयोग में आएंगे उनमें किस तरह से दूरी का पालन किया जाएगा इसके अलावा इससे जुड़े हुए अनेक सवाल हैं जिनके जवाब आने वाले समय में मिल सकते हैं, लेकिन एक बात तो तय है कि 5,6 लाख छात्र-छात्राओं के कारण इंदौर की जो अर्थव्यवस्था सुधरती जा रही थी वह पूरी तरह से चौपट हो कर रह गई है इन छात्र-छात्राओं के कारण ही सैकड़ों पोहे जलेबी बेचने वालों के ठेले आबाद रहते थे उनकी रोजी-रोटी चला करती थी पिछले 3 महीनों से वे भी घरों पर बैठे हुए हैं ।
 इसमें कोई दो मत नहीं है कि अब लोग कोरोना के साथ जीना सीख रहे हैं तब यह मानकर चला जा सकता है कि आने वाले समय में स्थितियां धीरे-धीरे सामान्य होती जाएंगी लेकिन डर  यही है कि बार-बार जो कोरोना से संबंधित चेतावनी सामने आ रही है और इंदौर में कोरोना मरीजों की संख्या निरंतर मिलने के कारण यह मानकर चला जा सकता है कि दीपावली के आसपास तक भी स्थितियां सामान्य हो पाएगी इसमें संदेह है ।
 इंदौर को एजुकेशन हब बनाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया गया था और इनमें बहुत बड़ी संख्या में फैकल्टी भी शामिल की गई थी  लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या आने वाले समय में एजुकेशन को पूरी तरह से ऑनलाइन करना पड़ेगा या फिर स्थितियां सामान्य होने के बाद फिर से वही रौनक लौट सकेगी जो पहले थी ।