भारत की प्राचीन नगरियों में प्रमुख उज्जैन (Ujjain) शहर परम दुर्लभा, मोक्षदायिनी माँ क्षिप्रा (Kshipra) नदी के तट पर बसा हुआ है। क्षिप्रा नदी तीन ओर से उज्जैन शहर और बाबा महाकाल की परिक्रमा करती हुई आगे बढ़ जाती है। मूलतः शांत रहने वाली यह पावन नदी तेज बारिशों के दौरान कई बार प्रचंड रूप भी धारण कर लेती है। इस क्रम में कल रक्षाबंधन के पावनपर्व के अवसर पर हुई तेज बारिश से माँ क्षिप्रा ने अपने क्षेत्र में बड़ा विस्तार किया।
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बाबा अंगारेश्वर का किया प्राकृतिक जलाभिषेक
कल रक्षाबंधन पर बरसे तेज पानी की वजह से पुण्यसलीला माँ क्षिप्रा नदी ने उज्जैन के प्रसिद्ध बाबा अंगारेश्वर का प्राकृतिक जलाभिषेक किया। इस दौरान क्षिप्रा नदी का जलस्तर इतना बड़ा की बाबा अंगारेश्वर शिवलिंग पूरी तरह से माँ क्षिप्रा के पवित्र जल में मग्न हो गया। चूँकि रक्षाबंधन श्रावण का अंतिम दिन होता है और श्रावण मास भगवान भोलेनाथ को अतिप्रिय महीना है, इसलिए माँ क्षिप्रा के द्वारा बाबा अंगारेश्वर के प्राकृतिक जलाभिषेक को सनातन धर्म के जानकार शुभ संकेत के रूप में ही देख रहे हैं।
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अंगारेश्वर महादेव है सिद्ध शिवालय होती मंगल की भात पूजा
उज्जैन स्थित प्रसिद्ध अंगारेश्वर ज्योतिर्लिंग की काफी मान्यता है। प्रसिद्ध मंदिर मंगलनाथ की तरह यहां भी मंगल ग्रह की शांति और आराधना के लिए भात पूजा की विशेष परम्परा है, जोकि पुराने समय से चली आ रही है। इसके साथ ही बाबा अंगारेश्वर के भक्तों की संख्या भी काफी बड़ी है।