उज्जैन: सावन के हर सोमवर और भादौं मास में उज्जैन के राजा महाकाल प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलते हैं। आज बाबा महाकाल की शाही सवारी निकाली जाएगी। कोरोना संक्रमण को देखते हुए 54 साल बाद शाही सवारी परिवर्तित मार्ग से निकल रही है। इससे पहले सन् 1966 में तत्कालीन कलेक्टर ने नए मार्ग से सवारी निकालने का निर्णय लिया था।
वरिष्ठजन बताते हैं कि उस समय तोपखाना होते हुए सवारी रात करीब 2 बजे महाकाल मंदिर पहुंची थी। बीते तीन दशक में भी शाही सवारी में कई परिवर्तन देखने को मिले हैं। हालांकि भगवान के मुखारविंद निकलाने की परंपरा हर दौर में कायम रही है।
उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह, एसपी मनोज सिंह, एडीएम बिदिशा मुख़र्जी, मंदिर प्रशाशक एसएस रावत, सहप्रभारी प्रतीक द्विवेदी, निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल, अपर आयुक्त मनोज पाठक, पुजारी प्रदीप गुरु, आशीष पुजारी, जिला पंचायत अंकित अस्थाना, महाकाल थाना प्रभारी अरविंद सिंह तोमर,चौकी प्रभारी यादव और महाकाल भक्ति चैनल के प्रमुख विजय व्यास और इनकी पूरी टीम सदस्य सोमवार को निकलने वाली बाबा महाकाल की सवारी के लिए शिद्दत से जुटे हुए है।
पालकी के दौरान क्या प्रमुख आकर्षण रहेगा
- भूत भावन बाबा महाकाल की शाही सवारी सोमवार की शाम 4:00 बजे मंदिर परिसर से पूजन के बाद गंतव्य की ओर रवाना होगी।
- जिसमें सबसे आगे घुड़सवार और पुलिस बैंड की टुकड़ी होगी। कड़ाबिन के धमाकों के साथ बाबा महाकाल की पालकी शने शने अग्रसर होगी।
- बड़ा गणेश मंदिर की घाटी उतरते ही आकर्षण का प्रथम स्वरूप देखने को प्रतीत होगा।
- सवारी मार्ग पर वृहद स्तर का रेड कारपेट बिछाया गया है जिस पर सड़क के दोनों छोर पर रंग बिरंगे झंडे और और छतरियां भी लगाई गई है। यह नहीं बड़े स्तर पर पेड़ पौधे गमले और ग्रीनरी से भी मार्ग को सुसज्जित किया गया है ।
- अब जैसे-जैसे बाबा महाकाल की पालकी आगे बढ़ती जाएगी वैसे वैसे आकर्षण के दूसरे केंद्र आपको आल्हादित करते जाएंगे ।
- सम्राट वीर विक्रमादित्य का टीला आने के बाद बाबा महाकाल की पालकी का दृश्य और भी विहंगम होता दिखाई देगा। यहां पर पुष्पों से वर्षा होते दिखाई देगी जिससे की सवारी का आनंद दोगुना प्रतीत होगा।
- बरसात का मौसम बादलो की लुका छिपी रिमझिम बारिश और सड़क मार्ग के दोनों और रुद्र- सागर से आती हुई ठंडी ठंडी लहरें और उसकी मिट्टी की सोंधी सोंधी सुगंध मन मस्तिष्क को धर्ममय कर देगी।
- भूत भावन बाबा महाकाल के जयकारे से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठेगा। इसी हरसिद्धि चौराहे पर शेर की बृहद प्रतिमा स्थापित है। इस चौराहे पर सवारी का मानो विस्तार झलकने लगेगा ।
- पालकी जब रामघाट पर पहुंचेगी तो यहां पर राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया परंपरागत रूप से अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए बाबा महाकाल की पालकी का पूजन अर्चन करेंगे।
- मोक्षदायिनी मां शिप्रा के पावन जल से बाबा महाकाल का जलाभिषेक होग। यहां पर आपको एक और भव्यतम नजारा देखने को मिलेगा, जिसमें आपको शिप्रा नदी के दूसरे छोर से कुछ नाँव आते हुए दिखाई देगी जो कि पहले तो पुष्पों से वर्षा करेगी फिर बर्फ की बूंदों को भी महाकाल की पालकी का सानिध्य प्राप्त होगा।
- शाही सवारी के मार्ग को छोटा करने की जो बहुतायत टिस आमजन के मन में थी वह इस दृश्य के बाद गोण होती नजर आएगी।
- बाबा महाकाल की पालकी जब रामघाट से रामनुज कोट की ओर अग्रसर होगी तो सवारी में शामिल जिला प्रसाशन,, पुलिस बल व्यवस्थापक ,मंदिर से जुड़े कर्मचारी ,पंडित पुजारी पुरोहित समेत मीडिया और आगंतुक अतिथियों का कारंवा सवारी के साथ आगे बढ़ेगा।
- यहां पर हरसिद्धि पाल के समीप जो वृहद स्तर की घाटी है उसके नीचे विशेष तौर की धुंध का बहुतायत प्रवाह होगा। जो बादलों में से बाबा महाकाल की पालकी के निकलने का एहसास कराएगा यह दृश्य विहंगम व नयनाभिराम और सहेजने योग्य होगा।