UGC का बड़ा फैसला, खत्म करेगी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए PhD की अनिवार्यता

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UGC : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grant Commission) ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि यूजीसी द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालयों (Central Universities) में पढ़ाने के लिए अब पीएचडी की अनिर्वायता खत्म कर देगी।

इसके पीछे की वजह ये बताई जा रही है कि अब उद्योग जगत के विशेषज्ञों और पेशेवरों (Industry Experts and Professionals) को केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने का मौका दिया जाएगा। दरअसल, कई लोग अपने क्षेत्र में ज्ञान तो भरपूर रखते हैं लेकिन उनके पास पीएचडी की डिग्री नहीं हो पाती है इस वजह से वह केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ा नहीं पाते हैं।

ऐसे में अब युजीसी की ओर से प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस और एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस जैसे कई पद बनाए जा रहे हैं। इसको लेकर एक डिप्लोमैट ने कहा है कि अब केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अंतरराष्ट्रीय संबंध पढ़ाने का मौका आसानी से मिल पाएगा। यूजीसी का ये फैसला काफी अहम् है।

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जानकारी के मुताबिक, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष द्वारा जानकारी देते हुए कहा गया है कि कई विशेषज्ञ हैं जो पढ़ाना चाहते हैं। लेकिन डिग्री ना होने की वजह से वो पढ़ा नहीं पाते हैं। साथ ही कोई ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिसने बड़ी परियोजनाओं को लागू किया हो और जिसके पास जमीनी स्तर का अनुभव हो, या कोई महान नर्तक या संगीतकार हो सकता है।

लेकिन अभी के नियमों के मुताबिक, केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए नियुक्त नहीं कर पाते हैं ऐसे में ये फैसला लिया जा रहा है जिसकी मदद से अब सभी को मौका दिया जाएगा। उन्होंने आगे कहा है कि अब पीएचडी की कोई आवश्यकता नहीं होगी। लेकिन विशेषज्ञों को किसी दिए गए डोमेन में अपने अनुभव का प्रदर्शन करने की आवश्यकता होगी।