इन दिनों चक्रवात तूफ़ान यास काफी खतरनाक होता जा रहा है. मौसम विभाग ने 26 मई को इसके ओडिशा के तट से टकराने की संभावना जताई है. वहीं इसी बीच बीते दिनों टाउते तूफ़ान के कारण मुंबई में टगबोट वरप्रदा हादसे का शिकार हो गया था. समुद्र तट से 35 किमी दूर टगबोट वरप्रदा का मलबा मिला है. इस पर 13 लोग सवार थे. इनमें दो लोगों को बचाया जा चुका है, जबकि 11 के शव मिले हैं. इस टगबोट के चीफ इंजीनियर फ्रांसिस के सिमोन ने बताया कि ये शिप बेहद खराब हालत में थी और नौकायान के लिए उपयुक्त नहीं थी.
फ्रांसिस के सिमोन उन दो लोगों में शामिल हैं, जो इस हादसे में बच गए हैं. उन्होंने दावा किया कि शिप खस्ताहाल थी. इसके बावजूद कैप्टन और कंपनी ने जोखिम लिया और चक्रवात ताउते को कम करके आंका. जिसका नतीजा सबके सामने है. शिप में सवाल 11 लोगों की जान जा चुकी है. वहीं, चक्रवात ताउते के दौरान बार्ज पी-305 के डूब जाने की घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर 75 हो गयी है. इसपर कुल 261 लोग मौजूद थे, जिसमें से 186 लोगों को बचाया गया है.
अंग्रेजी वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सिमोन कहते हैं, ‘वरप्रदा का रखरखाव खराब था.मैंने डीजी शिपिंग अधिकारियों से कहा कि टगबोट समुद्र के लिए फिट नहीं है. मैंने उनसे पूछा कि इसे नौकायन का लाइसेंस कैसे दिया गया? इस शिप का समुद्र में डूबना किसी तूफान की वजह से नहीं, बल्कि एक मानव निर्मित आपदा है. मैंने चालक दल को मरते देखा. उनके परिवार के लोग रो रहे हैं और लाशों के बारे में पूछ रहे हैं.’ सिमोन ने इस घटना को लेकर सख्त कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोबारा न हो.
चीफ इंजीनियर सिमोन ने कहा, ‘पानी धीरे-धीरे इंजन रूम में भर गया और दोपहर तक मैंने कैप्टन नागेंद्र कुमार से कहा कि स्थिति नियंत्रण से बाहर है. मैंने कैप्टन से कंपनी, भारतीय तटरक्षक और नौसेना जैसे अन्य अधिकारियों को सूचित करने का अनुरोध किया था. कैप्टन कुमार ने करीब शाम 5 बजे या 5.30 बजे मैरीटाइम रेस्क्यू कोऑर्डिनेशन सेंटर को इमरजेंसी कॉल भेजी. मेरा मानना है कि संकट कॉल भेजने में उनकी ओर से देरी हुई थी.’