अगर आप कनाडा में नौकरी करने का सपना देख रहे हैं, तो आपके लिए एक महत्वपूर्ण अपडेट है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने चुनाव से पहले एक बड़ा निर्णय लिया है, जिसमें उन्होंने कनाडा में अस्थायी नौकरी करने वाले विदेशी श्रमिकों की संख्या में कमी करने का ऐलान किया है। यह निर्णय भारतीयों समेत अन्य हजारों विदेशियों पर असर डाल सकता है, जिनमें बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी शामिल हैं जो पढ़ाई के साथ-साथ अस्थायी नौकरी की उम्मीद करते हैं।
ट्रूडो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि कनाडा का श्रम बाजार बदल रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या कम की जाएगी और इसके बजाय कनाडाई व्यवसायों को स्थानीय श्रमिकों और युवाओं में निवेश करने का निर्देश दिया जाएगा।
हाल के वर्षों में कनाडा में विदेशियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे बेरोजगारी की समस्या भी बढ़ी है। कनाडा के आप्रवासन मंत्री मार्क मिलर ने हाल ही में बयान दिया था कि आप्रवासन नियमों को कनाडाई श्रम बाजार की जरूरतों के अनुरूप समायोजित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक कदम है और इस दिशा में कार्रवाई की जाएगी।
नए नियमों के तहत:
कम वेतन वाली नौकरियों के लिए अस्थायी काम के परमिट की अवधि दो साल से घटाकर एक साल की जाएगी।
कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, और निर्माण क्षेत्रों को इस नियम से छूट दी जाएगी।
जहां बेरोजगारी की दर छह प्रतिशत या उससे अधिक है, वहां कम वेतन वाले विदेशी श्रमिकों को काम पर नहीं रखा जा सकेगा।
एकल नियोक्ता द्वारा अस्थायी विदेशी श्रमिकों की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत कर दी जाएगी।
इस निर्णय से कनाडा में काम करने के इच्छुक विदेशियों, विशेषकर भारतीय छात्रों और श्रमिकों को बड़ा झटका लग सकता है।