Site icon Ghamasan News

इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट की जद में रानी सराय, खतरे में हजारों पक्षियों का ठिकाना

इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट की जद में रानी सराय, खतरे में हजारों पक्षियों का ठिकाना

सुपर कॉरिडोर पर मेट्रो के सफल संचालन के बाद अब शहर में मेट्रो के अगले चरण के लिए 16 किलोमीटर लंबे नए रूट के निर्माण की तैयारी शुरू हो गई है। यह ट्रैक शहीद पार्क (रिंग रोड) से हाई कोर्ट (एमजी रोड) तक एलिवेटेड होगा, जबकि एयरपोर्ट तक अंडरग्राउंड रूट पर संचालन का विचार जारी है। शहरी क्षेत्र से गुजरने वाले इस मार्ग की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसमें कई ऐतिहासिक और मौजूदा संरचनाएं बाधा बन रही हैं। इनमें रीगल चौराहे पर स्थित ऐतिहासिक रानी सराय (पूर्व पुलिस आयुक्त कार्यालय) और अहिल्या लाइब्रेरी का एक हिस्सा प्रमुख हैं।

प्रस्तावित स्टेशन के एंट्री-एग्जिट, पार्किंग और कमर्शियल ढांचे के निर्माण के लिए रानी सराय को हटाने की आवश्यकता बताई गई है। इसके लिए रीगल की भूमि का उपयोग करने का प्रस्ताव भी सामने आया है। उल्लेखनीय है कि रानी सराय का निर्माण वर्ष 1907 में हुआ था।

क्या बचेगी रानी सराय?

मेट्रो अधिकारियों का कहना है कि रानी सराय को संरक्षित रखा जा सकता है, बशर्ते शास्त्री ब्रिज से छोटी ग्वालटोली की ओर जाने वाली सड़क को बंद किया जाए। चूंकि इस सड़क को चालू रखने की योजना है, इसलिए स्टेशन का अलाइनमेंट रानी सराय की दिशा में प्रस्तावित किया गया है। मेट्रो ट्रेन इस स्टेशन से लगभग 300–350 मीटर पहले, हाई कोर्ट के पास से भूमिगत ट्रैक में प्रवेश करेगी। हालांकि, इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय अभी लिया जाना बाकी है।

भवन के नीचे मेट्रो की रफ्तार, ऊपर कमर्शियल हलचल

मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन रीगल तिराहे पर स्थित ऐतिहासिक होलकर कालीन रानी सराय भवन (पूर्व पुलिस कंट्रोल रूम) को ध्वस्त करने की तैयारी में है। इस स्थान पर दिल्ली के राजीव चौक की तर्ज पर एक अत्याधुनिक अंडरग्राउंड मॉडल मेट्रो स्टेशन विकसित करने की योजना बनाई गई है। प्रस्तावित स्टेशन शहर का प्रमुख केंद्र होगा, जिसमें बड़ी पार्किंग सुविधा उपलब्ध रहेगी। मेट्रो के तीसरे चरण के तहत एमजी रोड पर हाई कोर्ट के समीप से एयरपोर्ट तक ट्रैक भूमिगत रहेगा। रीगल तिराहे पर बनने वाला यह स्टेशन दो स्तरों वाला होगा—ऊपरी हिस्से में भवन, जबकि नीचे मेट्रो का संचालन किया जाएगा। यहाँ लगभग 500 कारों और अन्य वाहनों की पार्किंग का प्रावधान होगा। साथ ही पास ही स्थित रेलवे स्टेशन को इस स्टेशन से अंडरग्राउंड मार्ग के ज़रिए जोड़ने पर भी विचार किया जा रहा है।

शहर के बीचोंबीच एक जीवंत परिंदों की बस्ती

रानी सराय परिसर में हजारों पक्षियों का प्राकृतिक आशियाना है। यहाँ मौजूद घने और पुराने पेड़ों पर दिनभर बड़ी संख्या में तोते, कबूतर और अन्य विभिन्न प्रजातियों के पक्षी आश्रय लेते हैं। कई सामाजिक संगठनों द्वारा इन पक्षियों को नियमित रूप से दाना-पानी उपलब्ध कराया जाता है। प्रस्तावित मेट्रो स्टेशन यदि इस स्थान पर बनाया गया, तो इन पक्षियों का यह सुरक्षित बसेरा समाप्त हो जाएगा। पर्यावरण विशेषज्ञ ओपी जोशी का कहना है कि इंदौर में वर्तमान पर्यावरणीय परिस्थितियों को देखते हुए हमें विकास से पहले प्रकृति संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए। उनका मानना है कि इस क्षेत्र के अनेक वर्षों पुराने वृक्षों की कटाई से जैवविविधता पर गंभीर असर पड़ेगा, इसलिए किसी भी परियोजना पर निर्णय लेने से पहले पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखना आवश्यक है।

विरोध की आवाज़ तेज़

रानी सराय को तोड़ने और इस रूट पर अंडरग्राउंड मेट्रो को चलाने का विरोध भी हो रहा है। कई बड़े प्रदर्शन हो चुके हैं। रहवासियों का कहना है कि इससे बहुत अधिक नुकसान होगा। अभी इस रूट के निर्माण कार्यों पर भी बार बार बदलाव हो रहे हैं। इतिहासकार जफर अंसारी का कहना है, रानी सराय शहर के मध्य भाग में स्टोन मेसनरी की अनूठी इमारत है। यह 117 साल पुरानी है। इसे शिवाजीराव होलकर की पत्नी वाराणसी बाई साहिब होलकर ने सवा लाख रुपए से बनवाया था। निर्माण मुगल शैली में किया गया है। इस ऐतिहासिक इमारत को बचाना चाहिए।

Exit mobile version