संपतिकर के नवनिर्मित नियमो के संबंध में प्रशिक्षण कार्यक्रम, 1 अप्रैल से होगा नियम लागु

Rishabh
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दिनांक 12 फरवरी 2021: अपर आयुक्त एसकृष्ण चैतन्य ने बताया कि आयुक्त प्रतिभा पाल के निर्देशानुसार शासन की नवीन गाइड लाईन अनुसार संपतिकर के नवनिर्मित नियमो के परिप्रेक्ष्य में नियमो के क्रियान्वयन हेतु रविन्द्र नाटय गृह में राजस्व विभाग के अधिकारियो के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम किया गया। इस अवसर पर अपर आयुक्त एसकृष्ण चैतन्य,  अभय राजनगांवकर, कर विशेषज्ञ  राकेश गुजराल, उपायुक्त अरूण शर्मा, समस्त सहायक राजस्व अधिकारी व अन्य राजस्व प्रमुख उपस्थित थे।

अपर आयुक्त चैतन्य ने बताया कि शासन की नवीन गाइड लाईन अनुसार संपतिकर के नवनिर्मित नियमो के परिप्रेक्ष्य में नियमो के क्रियान्वयन हेतु निगम के राजस्व विभाग के अधिकारियो के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कर विशेषज्ञ राकेश गुजराल द्वारा समस्त राजस्व अमले को संपतिकर के नवनिर्मित नियमो के संबंध में प्रेजेटैंशन के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी गई।

कर विशेषज्ञ राकेश गुजराल ने बताया कि संपति कर किसी भी निकाय के राजस्व का सबसे बडा स्त्रोत होता है, इसलिये कर आधार को तर्कसंगत बनाने हेतु कदम उठाए जाने की आवश्यकता है, इससे नगरीय निकाय के राजस्व में वृद्धि होगी, संपतिकर के प्रबंधन के लिए बेहतर पद्धति और प्रक्रियाओ पर जोर देना आवश्यक है। भारत सरकार द्वारा भी समस्त नगरीय निकायो को अपनी वित्तीय स्थिति सृदृढ करने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिसमें राजस्व आय में वृद्धि की विशेष भूमिका है तथा भविष्य में निकायो की आर्थिक निर्भरता केन्द्र तथा राज्य सरकारो द्वारा दिए जाने वाले अनुदानो को कम हो जाए। कर योग्य संपति मूल्य को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिये क्योंकि कर आधार में वृद्धि करने में नए नियमो के कार्यान्वयन से अपेक्षित परिणाम के फलस्वरूप नगरीय निकाय के राजस्व का प्रमुख स्त्रोत होने के नाते, संपति कर से राजस्व में वृद्धि नगरीय निकाय को आर्थिक रूप से अधिक आत्मनिर्भर बना देगी। संपति कर को बाजार मूल्य से जोडने से कर में स्वतः सामायिक वृद्धि होगी। साथ ही कर योग्य मूल्यो की दरो में सामायिक वृद्धि से राजस्व में तदुनुसार वृद्धि होगी जो नगरीय निकाय के व्यय की आवश्यकता को पूरा करने में सहायता प्रदान करेगा।

उन्होने बताया कि संपतिकरदाता द्वारा संपतिकर स्वविवरणी भरने के दौरान संपति के क्षेत्रफल में अंतर आने पर वर्तमान में 5 गुना पेनल्टी आरोपित की जाती है, और करदाता द्वारा इस संबंध में मेयर इन कौंसिल में अपील कि जाती है किंतु अब नये नियमानुसार ऐसे करदाताओ को पेनल्टी का 50 प्रतिशत जमा करने पर ही मेयर इन कौंसिल में अपील करने का अधिकार रहेगा।