अयोध्या से ज्यादा लखनऊ में सजावट, मानों वनवास से राम यहीं लौटे

Share on:

अयोध्या डायरी के एक पन्ने से…
त्यौहार का माहौल तो पूरे देश में है… हम सब देख ही रहे हैं… किन्तु मैंने कुछ करीब से देख लिया…। लखनऊ ऐसा सजा हुआ… मानों रामजी वनवास काट अयोध्या नहीं लखनऊ आ रहें हों…। सड़कें… जैसे दुल्हन सी श्रृंगारित…। अयोध्या से लगभग 100 किलोमीटर पहले से ही भगवा झंडे लहलहा रहे हैं… गांवों के आसपास शादी की तैयारियों सा माहौल दिखाई दे रहा है…। साइकल के साथ चल रही मेरी कार/भगवा रथ को देख… लोग “जय श्री राम” के नारे लगाते…।

सुरक्षा ऐसी कि 117 किलोमीटर दूर मुझे रोक दिया गया… SP बाराबंकी- पास…? मैं- एक-दो घंटे में आ जाएगा…। SP- तो दो घंटे कोतवाली में आराम…। दो घंटे बाद एस.पी. साहब का फोन बाराबंकी ही नहीं अयोध्या तक आपको कोई नहीं रोकेगा…। अयोध्या में सी.ओ. अयोध्या स्वयं हाईवे पर लेने आए… वरना अयोध्या में प्रवेश नामुमकिन…। रात को कारसेवक पुरम् में अन्दर तक कार सहित प्रवेश…।

मेरे रोंगटे खड़े… खुशी के आंसू… बोलने में शब्द न निकलना… मेरी क्या औकात…? लेकिन सच्चे दिल से कुछ करो तो… भोले के साथ “भगवान” होता है…। इन्दौर से हनुमान जी की शिला… जो मेरे शहर की ओर से “श्री राम जी” को सौंपनी थी… सौंपकर वापस लौट रहा हूं …। साभार… “कैलाश जी…।” महत्वपूर्ण जिम्मेदारी में मुझपर विश्वास करने पर…।