जानें, क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी, क्या है इस दिन का महत्त्व और खास वजह

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सावन की शुरुआत होते से ही त्यौहारों का सिलसिला चल पड़ा है। इस बीच आने वाले दो बड़े त्यौहार में से एक नाग पंचमी है। इसका महत्त्व हिन्दू मान्यताओं में सबसे ज्यादा माना जाता हैं। नाग पंचमी और रक्षा बंधन सबसे बड़े त्यौहारों में से है। इस बार नाग पंचमी का त्यौहार 25 जुलाई को मनाया जाएगा। वहीं रक्षाबंधन का त्यौहार सावन माह के अंतिम सोमवार को यानी कि 3 अगस्त को मनाया जाएगा। आपको बता दे, 10 जुलाई को सावन शुक्ल पंचमी को बिहार, राजस्थान, बंगाल, ओडीशा में नागपंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। वहीं देश अन्य भागों में 25 जुलाई सावन कृष्ण पंचमी को नागपंचमी मनाई जाएगी। इस द‍िन नाग देवता की पूजा की जाती है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है।

naag panchami

दरअसल, नागपंचमी पर नाग को दूध पिलाने से पाचन नहीं हो पाने या प्रत्यूर्जता से उनकी मृत्यु हो जाती है। शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने को नहीं बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है। लेकिन फिर कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है। नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है। इस दिन अष्टनागों की पूजा की जाती है। आपको बता दे, इस दिन गेंहू, चने और सिंवई आदि को भी उबालकर खाया जाता है। साथ ही इस दिन घर परिवार में हर्षोल्लास का वातावरण रहता है।

nag panchamii

ये भारतीय संस्कृति का सबसे प्रमुख त्यौहार माना जाता है। वहीं ज्योतिषों का मानना है कि पंचमी तिथि के स्वामी के रूप में इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। लेकिन इस दिन जमीन खोदना, तवा चढ़ाना अशुभ माना जाता है। पूरे श्रावण माह विशेष कर नागपंचमी को धरती खोदना निषिद्ध है। इस दिन व्रत करके सांपों को खीर खिलाई व दूध पिलाया जाता है। कहीं-कहीं सावन माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी को भी नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन सफेद कमल पूजा में रखा जाता है। वहीं दिन में नाग देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। दूध पिलाने के साथ ही उन्हें खीर का भोग भी लगाया जाता है।

इस दिन ये काम अवश्य करें –

इस दिन नागदेव का दर्शन अवश्य करना चाहिए।
बांबी (नागदेव का निवास स्थान) की पूजा करना चाहिए।
नागदेव की सुगंधित पुष्प व चंदन से ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि नागदेव को सुगंध प्रिय है।
ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा का जाप करने से सर्पविष दूर होता है।