Jain Dharm: जैन धर्म के अगले संत शिरोमणि समय सागर जी महाराज, आचार्य विद्यासागर के थे पहले शिष्य

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16 अप्रैल यानी आज आचार्य विद्यासागर जी महाराज के समाधि लेने के बाद उनके पहले शिष्य समय सागर महाराज आचार्य पद की जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं। मुनि संघ में सबसे वरिष्ठ मुनि समय सागर महाराज, आचार्य विद्यासागर महाराज की आचार्य परंपरा के पहले आचार्य होंगे।

52 साल बाद कुंडलपुर में आचार्य पद के लिए पदारोहण महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसके बाद संघ के सभी कार्य आचार्य समय सागर जी महाराज के निर्देश पर ही संचालित होंगे।

सागर जी महाराज के बारे

समय सागर जी महाराज का जन्म 27 अक्टूबर 1958 को शरद पूर्णिमा के दिन कर्नाटक के चिक्कोडी सदलगा में हुआ था। पिता मल्लपा जैन और माता श्रीमंती जैन ने उनका नाम शांतिनाथ रखा। धार्मिक वातावरण में पले-बढ़े सागर महाराज पारिवारिक जीवन में 6 भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। 22 वर्ष की आयु में दूसरे भाई विद्याधर ने गुरु दीक्षा ली। उन्हें नया नाम विद्यासागर महाराज मिला। 1975 में विद्यासागर महाराज को आचार्य पद मिला। इसके बाद परिवार के सभी सदस्य धीरे-धीरे त्याग के मार्ग की ओर बढ़ गए।

जब सागर जी महाराज हाई स्कूल में थे, तब वे अपने बड़े भाई विद्यासागर जी महाराज से प्रभावित हुए और मोक्ष के मार्ग पर चल पड़े। 2 मई 1975 को 17 साल की उम्र में उन्होंने ब्रह्मचर्य का व्रत लिया। इसी वर्ष दिसंबर में मध्य प्रदेश के दतिया सोनागिरि क्षेत्र में क्षुल्लक दीक्षा ली।

31 अक्टूबर 1978 को दीक्षा ली। क्षुल्लक दीक्षा के 5 वर्ष बाद समय सागर जी ने 8 मार्च 1980 को मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरि में आचार्य विद्यासागर महाराज से मुनि दीक्षा ली। इस प्रकार वे आचार्य विद्यासागर जी के प्रथम शिष्य बने। यहीं से उनके संन्यासी जीवन की शुरुआत हुई। उन्होंने तपस्या के कठोर नियमों को आत्मसात किया। अब 65 वर्ष की उम्र में वे आचार्य पद पर आसीन हैं।