परिवार में सयंम, सेवा और सहिष्णुता का संचार होना चाहिए- डॉ विकास दवे

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इंदौर। श्री ओसवाल जैन साजना साथ युवा संघ द्वारा एक वेबीनार का आयोजन संपन्न हुआ। यूं तो कोरोना काल में जैन युवा संघ ने अनेक वेबीनार व्याख्यान का आयोजन किया था किंतु इस बार विशेषता यह रही कि इस वेबीनार व्याख्यान को पूरे- पूरे परिवारों ने एक साथ बैठकर तन्मयता के साथ सुना। इस बार विषय संपूर्ण रूप से परिवार से जुड़ा हुआ था।

वेबीनार के मुख्य वक्ता के रूप में देवपुत्र के संपादक और बाल साहित्य तथा बाल मनोविज्ञान के कुशल अध्येता डॉ विकास दवे आमंत्रित किए गए थे। विषय था-” आधुनिक युग से उत्पन्न होती सामाजिक विकृतियां और उनके समाधान में भारतीय परिवार परंपरा का योगदान”।
डॉ विकास दवे ने अपने एक घंटे चले व्याख्यान और तत्पश्चात 15 मिनट से अधिक चले प्रश्नोत्तरी सत्र में वर्तमान युग की विभीषिकाओं की ओर इंगित किया जिनके कारण भारत की परिवार परंपराओं में मर्यादाओं और शुचिता का हनन हो रहा है। उन्होंने फिल्मों, टीवी धारावाहिकों, मोबाइल और आधुनिक समय के गीतों पर प्रश्न खड़े करते हुए आग्रह किया कि इन सभी श्रेणी की सामग्रियां परिवारों में विकृति के लिए जिम्मेदार हैं।

इस अवसर पर उन्होंने परिवार के सदस्यों के परस्पर वार्तालाप में संवाद कैसे स्थापित करना इस विषय पर भी विस्तार से चर्चा की। छोटी छोटी उम्र के बच्चों में बढ़ रहे अवसाद, क्रोध और उनके हिंसक व्यवहार पर चर्चा करते हुए डॉ दवे ने कहा कि वास्तव में इस सब के लिए वह सभी बड़े दोषी हैं जो बच्चों को खिलौनों के रूप में पिस्तौल और मशीन गन तो दिला देते हैं पर 20 रु की पुस्तक दिलाने में संकोच कर जाते हैं। बड़े बड़े घर और छोटे छोटे परिवार इन सभी विभीषिकाओं के लिए अधिक जवाबदार हैं। आधुनिकता का असर हमारे परिवारों पर भी पड़ा है, ऒर कुछ विकृतियो ने पेठ जमा ली है। आज परिवार में 10 साल का बच्चा भी अपने आधुनिक यंत्रो के साथ प्राइवेसी चाहता, इस बात की चिंता करना आवश्यक है। प्राइवेसी जैसे शब्द बच्चो के लिए नही है।

संपूर्ण समाज को एक बार फिर से संयुक्त परिवार परंपरा की ओर लौटना होगा। पाश्चात्य जगत ने कम संतानों और बिखरते परिवारों की जिस विकृति को भारत में प्रचलित कर दिया है उससे बचने का एकमात्र उपाय यह है की पुनः संयुक्त परिवार निर्मित हो और हम सब मिल बैठकर एक साथ भोजन करें, एक साथ संवाद करें। और घर मे सद साहित्य होने के साथ स्वाध्याय करना भी आवश्यक है।

डॉ दवे ने इस अवसर पर आधुनिक जीवनशैली में यंत्रों की अधिकता से बचने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि व्यवसाय बड़े ना बड़े विश्वास बढ़ना आवश्यक है। जैन युवा समूह ने इस वेबीनार के माध्यम से अनेक परिवारों के सैकड़ों सदस्यों को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास किया था जो सफल रहा। सभी ने संकल्प लिया कि आने वाले समय में हम सब अपने बच्चों को हमारे सांस्कृतिक विचारों से निकट लाने के लिए मुख्य वक्ता द्वारा सुझाए गए समाधानोँ  को मूर्त रूप देने का प्रयास करेंगे। वेबिनार का संचालन जयेश पालरेचा ने किया। संपूर्ण व्याख्यान के संयोजक और युवा संघ के अध्यक्ष नंदीप तर्वेचा ने स्वागत उद्धबोधन दिया।  इस व्याख्यान से जुड़ने के लिए वक्ता एवं श्रोताओं का आभार अमित बोलिया ने प्रकट किया।