मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति से चीन को एक और झटका

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डॉ.अपूर्व व्होरा

551 BC, आज से 2500-2600 वर्ष पूर्व चीन में कन्फ़्यूशियस नामक एक फिलॉसफर/पॉलिटिशियन पैदा हुआ था। कई लोग इसकी तुलना चाणक्य से करते है। इसकी फिलॉसॉफी को कंफ्यूशनिस्म कहा जाता है जिसमे आदर्श व्यक्तिगत व्यवहार, सामाजिक व्यवहार, न्याय, दया, सच्चाई पर ज़ोर दिया गया है।

चीन की सरकार के शिक्षा विभाग ने हनबन नाम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीनी भाषा और कल्चर सिखाने की मुहिम शुरू की। इसके तहत चीनी कॉलेज और यूनिवर्सिटी द्वारा अन्य देशों से 2004 से पार्टनरशिप की गई। प्रथम CI कन्फ़्यूशियस इंस्टीटूट 21 नवंबर 2004 को सीओल साउथ कोरिया में खोला गया।

तब से आज तक 550 CI और 1172 कन्फ़्यूशियस क्लास रूम 162 देशों में खुल चुके है। हिंदुस्तान में 3 CI खुले है मुंबई/वेल्लोर जो चालू है और लवली यूनिवर्सिटी पंजाब जो अभी शुरू नहीं हुआ। साथ ही 3 क्लास रूम कोलकोता, भरथिर यूनिवर्सिटी और के.आर. मंगलम यूनिवर्सिटी चालू है।

29 जुलाई 2020 को शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार ने इन सभी की जानकारी मंगवाई है। साथ ही चीनी भाषा मैंडरिन को फॉरेन लैंग्वेज लिस्ट से हटा दिया है। साथ ही आदेश पारित किया है कि कोई भी विदेशी शिक्षण संस्थान को अब विदेश मंत्रालय का NOC आवश्यक है, अगर उन्हें यहां एक्टिविटी करना है तो दुनिया के अन्य कई देशों ने इसी तरह इन्हें निकाल दिया है। इन संस्थाओं द्वारा चीन जासूसी के काम करता है और अर्बन naxilism फैलाता है।