आज श्रीजी का श्रृंगार यमुनाजी की प्रिय सखी श्यामाजी की ओर से होता है, पहनाएं जाते है श्याम रंग के वस्त्र

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तन राजत है श्याम पिछोरा श्याम पाग धरे भाल ।।१।।
श्याम ऊपरना श्याम ही फेंटा श्याम घटा अति लाल ।
रसिक प्रीतम अबके जो पाऊँ गरे धराऊँ वनमाल ।।२।।

विशेष – श्रीजी में आज नियम से श्याम रंग का पिछोड़ा और श्याम रंग के ग्वाल पगा का श्रृंगार धराया जाता है.
जन्माष्टमी की बधाई से एक माह तक श्याम,बेंगनी,बादली इत्यादि रंग नहीं धराए जाते हे. आज का यह श्रृंगार श्री यमुनाजी की प्रिय सखी श्यामाजी के भाव से होता है और आज की सेवा उन्हीं की ओर की है. संध्या-आरती में श्री मदनमोहन जी फूल पत्ती के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं. आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं.

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राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : मल्हार)

कारे कारे बदरा देस देस ते उलरे श्याम बरन सब रुख भयो l
मनो हो मदन मिल्यो मदन मोहन सों करत ओट महा सघन तिमिर के बासन ननरो ll 1 ll
मोरन की सोर अति पिक को पपैया कुहूकात नुपूर धुन अलसे धूनतयो l
‘धोंधी’ के प्रभु बोली चली तहां जहाँ पातन की सेज करी पातन छयो ll 2 ll

साज – श्रीजी में आज श्याम रंग की मलमल पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है तथा स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

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वस्त्र – श्रीजी को आज श्याम रंग की मलमल का सुनहरी किनारी का पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के होते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान का श्रृंगार धराया जाता है. सोने के के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर श्याम रंग की ग्वालपाग (पगा) के ऊपर मोती की लूम, सुनहरी चमक (जमाव) की चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में लोलकबंदी लड़ वाले कर्णफूल धराये जाते हैं. आज कमल माला धरावे. श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी व कमल के पुष्प की मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में एक कमल की कमलछड़ी, सोने के वेणुजी एवं दो वेत्रजी धराये जाते हैं. पट राग रंग का व गोटी बाघ बकरी की आती हैं.