आज जटा शंकर स्वरूप में नजर आएंगे महादेव, सावन की सातवीं सवारी में, इस रूप में होंगे बाबा के दर्शन

ShivaniLilahare
Published on:

उज्जैन के महाकाल के दरबार से आज सावन सोमवार की सातवीं सवारी निकाली जाएगी। इस दौरान उज्जैन के महाकाल बाबा का नया स्वरूप देखने को मिलेगा। आज महाकाल की सवारी में बाबा महाकाल के नए स्वरूप के दर्शन होंगे।

आज फिर सावन के सातवें सोमवार के दिन और एक बार फिर से महाकाल की नगरी उज्जैन में महाकाल बाबा की सवारी निकाली जाएगी। इस उज्जैन की महाकाल नगरी शिव के जयकारों से गूंज रही हैं। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने के लिए रात 12 बजे से भक्तों की लाइन लगी हुई हैं। आज बाबा का पंचामृत पूजन अभिषेक करने के बाद भस्म आरती की गई, जिसमें कई श्रद्धालुओं ने महाकाल के दर्शन किए। मंदिर में दर्शनों का यह सिलसिला लगातार देर रात तक चलने वाला हैं। महाकाल लगातार भक्तों को दर्शन देंगे। वहीं प्रजा का हाल जानने के लिए आज एक बार फिर बाबा महाकाल जटा शंकर स्वरूप में दिखाई देंगे।

शामिल होगा महादेव का जटा शंकर स्वरूप

आज सावन का सातवां सोमवार है और एक बार फिर से भक्तों को सवारी मार्ग पर बाबा का स्वागत करते हुए देखा जाएगा। पालकी में चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में महाकाल प्रजा का हाल जानने के लिए आज एक बार फिर एक नए रथ पर महादेव जटा शंकर स्वरूप में नजर आयेंगे। शाम 4 बजे सवारी मंदिर से निकलेगी जिसमें 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना है क्योंकि आज सावन की सवारी के साथ नागपंचमी का शुभ संयोग भी बन रहा है।

इन रूपों में होंगे दर्शन

मंदिर के सभा मंडप में चंद्रमौलेश्वर का पूजन अर्चन करने के पश्चात शाम 4 बजे सवारी मंदिर से रवाना होगी। चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, तो हाथी पर मनमहेश स्वरूप दिखाई देखा। इसके अलावा शिव तांडव, उमा महेश, होलकर, घटाटोप, और आखिर में सातवां स्वरूप जाता शंकर सवारी में दिखाई देगा। सवारी निकलने से पहले मंदिर में सभी प्रतिमाओं का पूजन-अर्चन किया जाता हैं।

जानकारी के अनुसार सवारी निकलने से पूर्व सभा मंडप में बाबा के जटा शंकर स्वरूप के दर्शन होंगे और उनका पूजन-अर्चन किया जायेगा। इसके बाद मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बलों की टुकड़ी भोलेनाथ को सलामी देगी। इसके बाद सवारी महाकाल चौराहा से कई चौराहा गुजरकर रामघाट पहुंचेगी जहां शिप्रा नदी के जल से पूजन-अर्चन के पश्चात रामानुजकोट, कार्तिक चौक, सत्यनारायण मंदिर, गोपाल मंदिरऔर भी कई अन्य स्थानों से सवारी पुनः मंदिर पहुंचेगी।