फाल्गुन मास में आने वाली अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या कहा जाता है। इसे हिन्दू वर्ष की अंतिम अमावस्या भी माना जाता है। बता दे, फाल्गुन अमावस्या महाशिवरात्रि के के बाद आते है। ऐसे में ये आज मनाई जा रही है। आस्था रखने वाले इस दिन को काफी महत्व देते है। ये उन सभी के लिए काफी विशेष महत्व रखता है।
इस दिन लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान, तर्पण और श्राद्ध करते हैं। इस दिन धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्माएं पितृ लोक पहुंचती हैं। जहां आत्माओं का अस्थायी निवास होता है। कहा जाता है कि जब तक उनके भाग्य का अंतिम फैसला नहीं होता उन्हें वहीं रहना पड़ता है।
इस दौरान बहुत पीड़ा सहना पड़ती है। क्योंकि क्योंकि वे स्वयं कुछ भी ग्रहण करने में समर्थ नहीं होते हैं।बता दे, इस दिन इन आत्माओं के वंशज, सगे-संबंधी या कोई परिचित उनके लिए श्राद्ध, दान और तर्पण करके उन्हें आत्मशांति दिला सकते हैं। इस अलावा पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले दान, तर्पण, श्राद्ध आदि के लिए यह दिन बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है।
ये है शुभ मुहूर्त –
अमावस्या तिथि 12 मार्च को दोपहर 03 बजकर 02 मिनट से प्रारंभ होकर 13 मार्च को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी।