आज है कार्तिक शुक्ल दशमी/एकादशी तिथि, रखें इन बातों का ध्यान

Pinal Patidar
Published on:
Kartik Maas 2021

आज रविवार, कार्तिक शुक्ल दशमी/एकादशी तिथि है। आज पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है।
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)

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-आज आशा दशमी है। सार्वभौम दशमी व्रत है।
-कल सोमवार को प्रबोधिनी एकादशी व्रत (बिल्वपत्र) है।
-स्कन्द पुराण के अनुसार शंखासुर द्वारा अपहृत किए गए वेदों को मुक्त कराने के लिए देवताओं ने कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन भगवान विष्णु को निद्रा से जगाया था।
-इसी दिन से भगवान विष्णु कार्तिक मास में जल के भीतर निवास करने लगे। इसी कारण कार्तिक स्नान का अत्यधिक महत्त्व है।
-भगवान विष्णु ने शंखासुर का वध किया, परन्तु वेद भय के कारण यज्ञ, मन्त्र एवं बीजों के साथ जल में समा गए थे।
-भगवान विष्णु ने जल के भीतर बिखरे हुए वेद मन्त्रों की खोज करने के लिए ऋषियों को सागर के जल में भेजा। तब तक वह प्रयाग में ठहरे।
-तपोबल सम्पन्न ऋषियों ने यज्ञ और बीजों सहित सम्पूर्ण वेद मन्त्रों का उद्धार किया। उनमें से जितने मन्त्र जिस ऋषि ने उपलब्ध किए, वही उन मन्त्रों का उस दिन से ऋषि माना जाने लगा।
-सभी ऋषियों ने एकत्र होकर प्रयाग में जाकर ब्रह्माजी सहित भगवान विष्णु को उपलब्ध हुए सभी वेद मन्त्र समर्पित किए थे।
-इसके तत्काल बाद ब्रह्माजी ने ऋषियों के साथ प्रयाग में अश्वमेध यज्ञ किया था।
-देवताओं ने भगवान विष्णु से वर मांगा था कि इस स्थान पर ब्रह्माजी ने खोए हुए वेदों को पुनः प्राप्त किया है और हमने भी यहां आपके प्रसाद से यज्ञ भाग पाया है। अतः यह स्थान प्रयाग पृथ्वी पर सबसे श्रेष्ठ, पुण्य की वृद्धि करने वाला एवं भोग और मोक्ष प्रदान करने वाला हो।
-उसी दिन से प्रयाग ब्रह्म क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध हुआ और तीर्थराज के नाम से विख्यात हुआ।
-कार्तिक मास में तुलसी के मूल में भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्त्व है।
-एकादशी के दिन देव जगाने के लिए निम्न मन्त्र का उच्चारण करें –
-उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पते।
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्।।
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।
गता मेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मला दिश:।।
-इस बार एकादशी व्रत का पारणा 16 नवम्बर मङ्गलवार को द्वादशी के दिन दोपहर 12:09 बजे के पूर्व ही कर लें।
-शास्त्र वचन है कि प्रबोधिनी एकादशी की पारणा में रेवती नक्षत्र का अन्तिम तृतीयांश हो तो उसे त्यागकर भोजन करना चाहिए।

विजय अड़ीचवाल