आज गुरुवार, भाद्रपद कृष्ण एकादशी तिथि है।
आज आर्द्रा नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-व्रत की एकादशी और गोवत्स द्वादशी कल शुक्रवार को है।
-भद्रा में यात्रा, गृह प्रवेश, व्यापार, उद्योग, खेती, रक्षाबन्धन, श्रावणी उपाकर्म, होलिका दहन, दाहकर्म, विवाह, यज्ञोपवीत संस्कार, मङ्गल कार्य आदि निषिद्ध माने गए हैं।
-माता पार्वती ने भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी तिथि को बड़ी प्रसन्नता के साथ गजानन मुख वाली मिट्टी की मूर्ति का निर्माण किया और उनकी -षोडशोपचार द्वारा पूजा की।
-मिट्टी से बनायी गई वह मूर्ति सजीव हो उठी।
-भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि, स्वाति नक्षत्र, सोमवार को मध्याह्न काल में गणेश जी पुत्र रूप में उत्पन्न हुए।
-गौतम आदि ऋषियों के आग्रह पर भगवान शिव ने 11 वें दिन इनका शुभ नामकरण संस्कार किया।
-तबसे ही भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन मध्याह्न 12 बजे पार्थिव गणेश का पूजन और उत्सव मनाना प्रारम्भ हुआ।
-इस दिन पार्थिव गणेश मूर्ति की स्थापना, पूजन और उत्सव मनाने से बार-बार विघ्न होने और विभिन्न रोगों से छुटकारा मिलता है।
-यह सब दक्षिण दिशा के दण्डकारण्य में त्रिसन्ध्या नामक क्षेत्र में हुआ, जहां माता पार्वती को गणेशजी पुत्र रूप में प्राप्त हुए।