आज गुरुवार, आश्विन कृष्ण तृतीया तिथि है।
आज रेवती/अश्विनी नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-आज पञ्चक प्रातः 7:45 बजे समाप्त।
-आज तृतीया तिथि का श्राद्ध है।
-श्राद्ध में 3 वस्तुएं पवित्र मानी गई हैं – दौहित्र, कुतप काल तथा तिल।
-श्राद्ध में उतावलापन ना हो, क्रोध ना हो और शुद्धि जरूर हो।
-श्राद्ध में पलाश, पीपल, वट, पाकड़, गम्भीरी, महुवे, मदार तथा अर्जुन वृक्ष के पत्ते से बनी पत्तल में भोजन करना व कराना चाहिए।
-बांस के पात्र में श्राद्ध करना भी श्रेष्ठ माना गया है।
-सोने, चॉंदी और ताम्बे के पात्र पितरों के पात्र कहे जाते हैं।
-श्राद्ध में चॉंदी की चर्चा, सामीप्य और दर्शन भी पुण्य दायक है।
-देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव नमो नमः।।
अर्थात्- देवता, पितर, महायोगी, स्वधा, और स्वाहा- इन सबको नित्य बारम्बार नमस्कार है।
-श्राद्ध के प्रारम्भ और अन्त में इस मन्त्र का तीन – तीन बार जप करना चाहिए। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं तथा राक्षस भाग जाते हैं।
-ब्रह्मचारी, संन्यासी, शिल्पी तथा यज्ञ दीक्षित पुरुष को एवं यज्ञ, विवाह तथा सत्र में कभी सूतक नहीं लगता है।
-श्राद्ध कर्म करने और ब्राह्मण भोजन का समय प्रातः 11:36 बजे से 12: 24 बजे तक का है।
-इस समय को कुतप वेला कहते हैं। उक्त समय मुख्य रूप से श्राद्ध के लिए प्रशस्त है।