विजय अड़ीचवाल
आज सोमवार, आश्विन कृष्ण षष्ठी/सप्तमी तिथि है।
आज रोहिणी नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
👆 ( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
👉 आज षष्ठी तिथि की व्याप्ति कम है। आवश्यक हो तो षष्ठी तिथि का श्राद्ध कर सकते हैं।
👉 श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन कराना आवश्यक है। ब्राह्मण हीन श्राद्ध निष्फल हो जाता है।
👉 श्राद्ध में तुलसी पत्रों का भी अत्यधिक महत्त्व है।
👉 श्राद्ध में पितरों की पसन्द का ही भोजन बनना चाहिए। पितृ दूध, दही, घी, शहद से अत्यधिक प्रसन्न होते हैं।
👉 शास्त्र विधि के अनुसार ही श्राद्ध करना चाहिए। श्राद्ध में लौकिक परम्परा लागू नहीं होती है।
👉 श्राद्ध के दिन पितृ गायत्री का पाठ करना चाहिए।
👉 वृष यानि सांड को छोड़ने के दौरान उस पर मात्र चन्दन से त्रिशूल या चक्र अंकित कर देना चाहिए। दागने की आवश्यकता नहीं है।
👉 पति तथा पुत्र वाली सौभाग्यवती स्त्री पति के पूर्व मृत्यु को प्राप्त हो जाए तो उसके निमित्त वृषोत्सर्ग न करें, बल्कि दूध देने वाली गाय का दान करना चाहिए।
👉 श्राद्ध कर्म करने और ब्राह्मण भोजन का समय प्रातः 11:36 बजे से 12: 24 बजे तक का है।
👆 इस समय को कुतप वेला कहते हैं। उक्त समय मुख्य रूप से श्राद्ध के लिए प्रशस्त है।