आज शनिवार, आश्विन कृष्ण एकादशी तिथि है। आज आश्लेषा नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-आज इन्दिरा एकादशी व्रत (कलाकन्द) है।
-आज एकादशी तिथि का श्राद्ध है।
-आज श्राद्ध में ब्राह्मण को फलाहार का भोजन कराकर एकादशी तिथि का श्राद्ध करना चाहिए।
-आज चावल की अपेक्षा मोरधन या साबूदाने की खीर बनाना चाहिए।
-” पुन्नामनरकात् त्रायते इति पुत्र:”
-अर्थात् नरक से जो त्राण (रक्षा) करता है, वही पुत्र है।
-गया श्राद्ध करने से पितरों का उद्धार तो हो ही जाता है, श्राद्ध कर्ता का भी परम कल्याण हो जाता है। (वायु पुराण)
-गया श्राद्ध करने से पितृगण प्रसन्न होकर श्राद्ध कर्ता को दीर्घायु, सन्तति, धन-धान्य, विद्या, राज्य, यश, सुख, कीर्ति, पुष्टि, बल, पशु, श्री, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करते हैं। (मार्कण्डेय पुराण, याज्ञवल्क्य स्मृति, यम स्मृति, श्राद्ध प्रकाश)
-गया श्राद्ध करने के बाद घर पर गणपति आदि देव पूजन कर ब्राह्मण भोजन और दान करना चाहिए।
-गया श्राद्ध के उपरान्त श्रीमद् भागवत कथा या श्रीमद् देवी भागवत कथा का पारायण भी कराना चाहिए।
-गया श्राद्ध करने के बाद भी घर में नियमित रूप से वार्षिक और पितृ पक्ष में तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए।
-पितृगण अपने पुत्र से यह आशा रखते हैं कि गया तीर्थ में अपने पैरों से भी जल का स्पर्श कर पुत्र हमें क्या नहीं देगा। (वायु पुराण)
-श्राद्ध करने की दृष्टि से पुत्र को गयाजी में आया देखकर पितृगण अत्यन्त प्रसन्न होकर उत्सव मनाते हैं। (वायु पुराण)
वास्तव में पुत्र की यथार्थता जीवित अवस्था में माता – पिता की आज्ञा का पालन करना है। उसके पश्चात गया तीर्थ में जाकर उनके उद्धार के लिए श्राद्ध आदि कर्म करने से ही है।
-श्राद्ध कर्म करने और ब्राह्मण भोजन का समय प्रातः 11:36 बजे से 12: 24 बजे तक का है।
-इस समय को कुतप वेला कहते हैं। उक्त समय मुख्य रूप से श्राद्ध के लिए प्रशस्त है।
विजय अड़ीचवाल