आज रविवार, आश्विन कृष्ण द्वादशी तिथि है। आज मघा नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-आज द्वादशी तिथि का श्राद्ध है।
-परिवार में जो साधु- सन्त, संन्यासी बन गए हैं और उनकी तिथि ज्ञात नहीं है, उनका आज के दिन श्राद्ध होता है।
-श्राद्ध कर्म के दौरान श्राद्ध कर्ता को लॉंग सहित सफेद धोती पहनना चाहिए।
-श्राद्ध कर्म के समय सफेद रंग का उत्तरीय वस्त्र गमछा, दुपट्टा आदि धारण करना चाहिए।
-श्राद्ध का भोजन कराने के पूर्व तर्पण ज़रूर करना चाहिए।
-तीर्थ स्थान पर किसी भी समय पितृ तर्पण श्रद्धा पूर्वक किया जा सकता है।
-तर्पण के लिए विभिन्न गोत्र वाले परिवार के करीब 41 परिजनों की गणना की गई है।
-पिण्डदान के लिए गाढ़ी खीर, विकल्प में जौ का आटा, जौ का सत्तू, खोए, तिलकुट, चावल, फल, मूल (आलू, शकरकन्द), तिल का लड्डू, घृत मिश्रित गुड खण्ड, दही, द्रव्य विशेष, शहद (मधु), घृत मिश्रित तिल की खली से पिण्डदान किया जा सकता है।
-समय अनुसार उक्त सामग्री में से जो भी उपलब्ध हो, उससे पिण्ड दान किया जा सकता है।
-पिण्ड एक हाथ से दिया जाता है, जबकि तर्पण दोनों हाथ से किया जाता है।
-श्राद्ध कर्म करने और ब्राह्मण भोजन का समय प्रातः 11:36 बजे से 12: 24 बजे तक का है।
-इस समय को कुतप वेला कहते हैं। उक्त समय मुख्य रूप से श्राद्ध के लिए प्रशस्त है।
विजय अड़ीचवाल