विजय अड़ीचवाल
आज मङ्गलवार, आश्विन कृष्ण चतुर्दशी तिथि है।
आज उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
👆 ( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
👉 आज चतुर्दशी तिथि है। आज सिर्फ शहीद, शस्त्राघात, ब्रह्मघाती हुए हों, दुर्घटना, सर्पदंश, विष आदि से मृत्यु होने वालों का श्राद्ध होता है।
👉 चतुर्दशी तिथि का होने वाला श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है।
👉 गुजरात प्रान्त के मेहसाणा जिले में सिद्धपुर स्थित बिन्दु सरोवर ही मातृ गयाजी है।
👉 इसे सिद्ध स्थल, श्रीस्थल भी कहते हैं। इसका प्राचीन नाम काम्यक वन है। यही भगवान कपिल की अवतार भूमि है।
👉 महर्षि कर्दम – देवहूति के पुत्र के रूप में भगवान विष्णु ने कपिल नाम से अवतार लिया था।
👉 इसी स्थान पर भगवान कपिल ने अपनी माता को सांख्य दर्शन का ज्ञान दिया था।
👉 इसी स्थान पर भगवान कपिल ने माता की मुक्ति के निमित्त अनुष्ठान किया था।
👉 इसी बिन्दु सरोवर में भगवान परशुराम ने भी मातृहन्ता पाप से अपने आप को मुक्त किया था।
👉 इसी स्थान पर गयाजी के अक्षय वट की भांति मोक्ष पीपल भी है।
👉 भगवान कपिल की आंखों से इस स्थान पर खुशी के आंसू गिरे थे, इसलिए वहां बिन्दु सरोवर बन गया था।
👉 कार्तिक माह में इस मातृ गयाजी पर माता की मुक्ति के लिए पुत्र गयाजी की तरह श्राद्ध कर्म करते हैं।
👉 श्राद्ध कर्म करने और ब्राह्मण भोजन का समय प्रातः 11:36 बजे से 12: 24 बजे तक का है।
👆 इस समय को कुतप वेला कहते हैं। उक्त समय मुख्य रूप से श्राद्ध के लिए प्रशस्त है।