आज टेक्नोलॉजी के चलते हर एक्टिविटी का डाटा इनकम टैक्स के पास चला जाता है, वही टैक्स डिपार्टमेंट में बदलाव यह है कि पहले के मुकाबले ज्यादा ट्रांसपेरेंसी आई है – टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन प्रेसिडेंट सीए शैलेंद्र सिंह सोलंकी

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इंदौर। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में टैक्स कंसलटेंट और टैक्स पेयर के लिए पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा बदलाव हो गए हैं। पहले 100 पर्सेंट स्क्रुटनी होती थी फिर धीरे-धीरे यह कम हुई है। और अब 2017 से इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। पहले असेसमेंट मैनुअली हुआ करता था और संबंधित अधिकारी सामने होता था अब यह प्रोसीजर फैसलेस हो गया है। अब लिखित में ज्यादा देना होता है वहीं सिर्फ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का ऑप्शन ही बचा है। इसी के साथ वर्तमान समय में टेक्नोलॉजी के चलते अब किसी भी चीज को छुपाना आसान नहीं रहा। सारी चीजें आधार और पैन कार्ड से लिंक होने के चलते गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन के पास ट्रिप ,शॉपिंग और अन्य चीजों की जानकारी पहुंच जाती है। वही इस विभाग में एक सकारात्मक पहलू यह है कि अब इसमें ट्रांसपेरेंसी भी बहुत ज्यादा आई है। पहले जो रिफंड होता था मैनुअली होता था अब से यह ऑनलाइन हो गया है इस वजह से करप्शन का लेवल गिर गया है। इसी के साथ अब यह डिपार्टमेंट यूजर फ्रेंडली भी हो गया है। यह बात टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सीए शैलेंद्र सिंह सोलंकी ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही।

सवाल. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान लोगों द्वारा किस तरह की गलतियां की जाती है

जवाब. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान लोगों द्वारा आमतौर पर प्रेजेंटेशन प्रॉपर्ली नहीं किया जाता है। प्रेजेंटेशन ऐसा होना चाहिए जिसमें सामने वाला एक बार देखे और समझ जाए ना कि उसे अन्य डॉक्यूमेंट की जरूरत हो। कई बार लोग अपने कंसलटेंट को इनकंप्लीट डॉक्यूमेंट देते हैं इसके चलते उन्हें वही सब सबमिट करने होते हैं। कई बार इन सब चीजों के चलते लायबिलिटी निकल आती है और फिर मामले अपील में चले जाते हैं। इसके लिए हमारे द्वारा कई बार सेमिनार का आयोजन किया जाता है जिसमें नए अपडेशन, गाइडलाइंस, जरूरी चीजों के बारे में जानकारी दी जाती है। जिसका फायदा कंसलटेंट और लोगों को मिलता है जिससे डॉक्यूमेंटेशन और प्रजेंटेशन में बहुत ज्यादा आसानी मिलती है

सवाल. मेट्रो सिटी दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसी जगहों के मुकाबले इंदौर को कहां देखते हैं

जवाब. अगर बात मेट्रो सिटी की कि जाए तो वहां और यहां के एक्सपोजर में बहुत फर्क है। बड़े शहरों में एनआरआई के केस बहुत ज्यादा होते हैं। मुंबई हमारी कैपिटल राजधानी है अगर बात मुंबई की करी जाए तो वहां पर वॉल्यूम भी करोड़ों में होते हैंपी उसके चलते काम भी ऐसे ही होते हैं। वही मेट्रो सिटी में इन सब चीजों को लेकर अवेयरनेश ने ज्यादा है। बात अगर टेक्नोलॉजी और अन्य चीजों की कि जाए तो यह तो लगभग समान ही है बस वहां पर वॉल्यूम और एक्स्पोज़र का फर्क पड़ता है। हमारे शहर में भी लोगों में जागरूकता तो है लेकिन कई बार अन्य कारणों के चलते प्रेजेंटेशन में गलतियां हो जाती है।

सवाल. आपने अपनी शिक्षा किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है

जवाब. में उत्तर प्रदेश के बदायूं से हूं मेरी ट्वेल्थ तक की शिक्षा वही हुई। फिर असके बाद ग्रेजुएशन के लिए मैं इंदौर आ गया। यहां पीएमबी गुजराती कॉलेज से कॉमर्स में अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई की उसके बाद लोढ़ा एंड कंपनी से सीए की पढ़ाई पूरी की। जहां अपनी सेवाएं देने के बाद में इंदौर आया और यहां पर एम मेहता चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्म कंपनी ज्वाइन की यहां कुछ समय कार्य करने के बाद मैंने पार्टनर के रूप में काम शुरू किया। इंदौर ब्रांच ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट में मैं 1997 में एग्जीक्यूटिव मेंबर, वाइस प्रेसिडेंट और 2001 में प्रेसिडेंट के रूप में चुना गया। सीए ऑल इंडिया बॉडी में भी मैं कॉप्टिक मेंबर के रूप में अपनी सेवाएं दी। वही सीए एसोसिएशन में भी कई पदों पर मैंने अपनी सेवाएं दी है। मैं ज्यादातर अपिलिएट और ट्रिब्यूनल के केस देखता हूं। अभी वर्तमान समय में मैं टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन में प्रेसिडेंट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं। वही मैं ढक्कन वाला कुआं पर ट्रेड हाउस बिल्डिंग में एसएस सोलंकी एंड कंपनी अपनी फर्म में भी सेवाएं दे रहा हूं। मुझे क्रिकेट में भी बहुत ज्यादा रुचि है इंदौर ब्रांच ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट की टीम का मैं पिछले 10 सालों से कैप्टन हूं। वही मुझे कई बार चार्टर्ड अकाउंटेंट में बेहतर सेवाएं देने के लिए पुरस्कारों से भी नवाजा गया है।