Tirupati Prasadam: तिरुपति लड्डू विवाद से आहत डिप्टी सीएम पवन कल्याण, रखेंगे 11 दिनों का उपवास

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हाल ही में तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू प्रसाद में बीफ, सूअर की चर्बी और मछली के तेल मिलाने का एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसने पूरे देश में हलचल मचा दी है। इस विवाद के बीच, आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने इस मुद्दे के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हुए आज से 11 दिनों के उपवास पर जाने का निर्णय लिया है। उन्होंने नंबूर के श्री दशावतार वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में दीक्षा धारण करने की योजना बनाई है, जिसके बाद वे तिरुमाला में श्री वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन करेंगे।

पवन कल्याण का संदेश

पवन कल्याण ने अपने एक संदेश में कहा, “हे, बालाजी भगवान! मुझे क्षमा करें। तिरुमाला का लड्डू प्रसाद, जिसे पवित्र माना जाता है, पिछले शासकों की लापरवाही के कारण अपवित्र हो गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि जानवरों के अवशेषों के उपयोग से यह प्रसाद दूषित हो गया है और ऐसा पाप केवल उन लोगों द्वारा किया जाता है जिनका ईश्वर में विश्वास नहीं होता।

उन्होंने आगे कहा कि इस मुद्दे की गंभीरता को न पहचान पाना हिंदू समाज के लिए एक कलंक है। पवन कल्याण ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि जब उन्हें इस बात का पता चला कि लड्डू में जानवरों के अवशेष हैं, तो उनका मन अत्यंत व्याकुल हो गया। उन्होंने सभी सनातन धर्म के अनुयायियों से अपील की कि वे इस भयानक अपचार का प्रायश्चित करें।

विवाद का राजनीतिक पक्ष

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने 19 सितंबर को इस विषय पर एक बड़ा बयान दिया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि पूर्ववर्ती YSRCP सरकार के समय तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी का उपयोग किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि उनके शासनकाल में अब शुद्ध घी का इस्तेमाल हो रहा है।

YSRCP ने नायडू के आरोपों पर तीखी प्रतिक्रिया दी, यह कहते हुए कि उन्होंने तिरुपति की पवित्रता और श्रद्धालुओं की आस्था को नुकसान पहुंचाया है। पार्टी ने कहा कि नायडू की टिप्पणियाँ राजनीति के लिए बेहद घटिया हैं और उन्होंने भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया है।

इस विवाद ने आंध्र प्रदेश में राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। पवन कल्याण का उपवास और सीएम नायडू के बयान ने तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद के मामले को न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक विवाद का विषय बना दिया है। श्रद्धालुओं की आस्था और मंदिर की पवित्रता को लेकर चल रही बहस अब एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है, जिसे आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।