इंदौर। अट्ठाईस साल पहले मेरे पिता ने न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण संस्था में प्लाट लिया था। पिताजी चल बसे, लेकिन मुझे भी अभी तक प्लाट नहीं मिला। जब से जनसुनवाई शुरू हुई है, तब से अब तक लगातार शिकायत कर रहा हूं, लेकिन प्लाट कब मिलेगा, इसका पता नहीं है। कुछ इस तरह की पीड़ा व्यक्त करते हुए कलेक्ट्रेट दफ्तर के चक्कर लगा रहे गोविंद राठौर ने बताया कि 1994 में मेरे पिता नंदकिशोर राठौर ने प्लाट लेने के लिए संस्था की सदस्यता ली थी। तत्काल प्लाट लेने के लिए पचास हजार रुपए जमा भी करा दिए थे, तीन महीने में प्लाट देने का वादा भी किया था, लेकिन नहीं दिया। मेरा सदस्यता नंबर 734-ए है।
संस्था के दफ्तर बदलते रहे, मैं सहकारिता विभाग और कलेक्टर ऑफिस के चक्कर लगाता रहा, लेकिन मुझे हमेशा निराशा हुई। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने जब से जनसुनवाई शुरू हुई है, तब से अभी तक लगातार शिकायत करता आ रहा हूं। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में 165 बार शिकायत कर चुका हूं। हमेशा जवाब मिलता है कि जल्द प्लाट मिलेगा। गोविंद राठौर की तकलीफ ये है कि वो प्लाट संस्था वालों से मांगते हैं, तो कहा जाता है कि कोर्ट केस चल रहा है, हम प्लाट नहीं दे सकते, रजिस्ट्री भी नहीं करवा सकते, जबकि मेरे बाद संस्था में बने नए सदस्यों की रजिस्ट्री करके प्लाट भी दे दिए और मकान भी बन गए। वरीयता सूची में कई बार बदलाव कर लिया गया। हर मंगलवार को कलेक्ट्रेट में दिखने वाले स्थायी चेहरों में से एक गोविंद राठौर हैं। अभी भी मैं लगातार शिकायत कर रहा हूं।
मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत करने के अलावा अड़तालीस बार मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को चिट्ठी लिख चुका हूं। जब भी भू-माफिया अभियान चलता है, तो उम्मीद जागती है, लेकिन अभियान बंद होने के बाद भी मुझे मेरा प्लाट नहीं मिला। न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण संस्था ने मुझे प्लाट देने की बजाय श्रीराम बिल्डर्स 451, अपोलो टॉवर एमजी रोड को एक साथ 120 प्लाट की रजिस्ट्री कर दी। पहले मैं अपने पिता के साथ शिकायत करने और प्लाट लेने के लिए कालोनाइजर और अफसरों के चक्कर लगाता था। अब मेरा बेटा भी लगातार मेरे साथ शिकायत करने जाता है। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी हेल्प लाइन वॉट्स-एप नंबर पर चौदह बार शिकायत कर दी, लेकिन प्लाट नहीं मिला। लगता है अब मुझे कलेक्ट्रेट दफ्तर के गेट पर धरना देना पड़ेगा, तब जाकर ही प्लाट मिल पाएगा।