इंदौर में विकास के नाम पर हजारों पेड़ों की कटाई की जा रही है, जिसके कारण शहर का प्राकृतिक संतुलन पूरी तरह से बिगड़ चुका है। पिछले कुछ वर्षों में इंदौर में हजारों पेड़ काटे गए, लेकिन नगर निगम ने कभी भी इन पेड़ों की कटाई का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड सार्वजनिक नहीं किया। मेट्रो, ब्रिज, बायपास और अन्य औद्योगिक परियोजनाओं के लिए हजारों पेड़ों की बलि दी गई, लेकिन रिकॉर्ड की मांग करने पर नगर निगम ने कभी भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। अमर उजाला ने लगातार इस मुद्दे को उठाया और जनता को बताया कि किस तरह शहर की हरियाली नष्ट की जा रही है। एमओजी लाइन और मल्हार आश्रम में नगर निगम ने रातों-रात सैकड़ों पेड़ काट दिए, लेकिन एक भी पेड़ की कटाई को स्वीकार नहीं किया। जब मौके पर कटे पेड़ों के बारे में जानकारी दी गई, तो अधिकारियों ने इनकी कटाई की बात मानी ही नहीं। अब ठीक इसी तरह का दृश्य इंदौर देवास रोड और बिचौली हप्सी रोड पर भी देखने को मिल रहा है।
एक सप्ताह में काटे गए सैंकड़ो पेड़
इंदौर देवास रोड और बिचौली हप्सी रोड पर नगर निगम की टीम ने एक सप्ताह के भीतर सैकड़ों पेड़ों की कटाई की है। सड़क पर आने-जाने वाले लोग भी पेड़ों की कटाई को लेकर चर्चा कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार, देवास नाका पर ब्रिज निर्माण के लिए और बिचौली हप्सी में सड़क चौड़ीकरण के लिए पेड़ों की कटाई की गई है। दोनों स्थानों पर बड़ी संख्या में पुराने पेड़ काटे गए हैं।
महापौर के नेतृत्व में चल रहा क्लाइमेट मिशन
शहर में पेड़ों की लगातार कटाई हो रही है, जबकि महापौर पुष्यमित्र भार्गव क्लाइमेट मिशन चला रहे हैं। 1 दिसंबर से शुरू हुए इस मिशन में 100 दिनों तक अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान इंदौरवासियों से जलवायु परिवर्तन पर चौपाल लगाकर सामूहिक चर्चा की जा रही है, जहां विभिन्न समाधानों पर बातचीत हो रही है।