इंदौर। पश्चिम क्षेत्र विद्य़ुत वितरण कंपनी शनिवार 10 जुलाई को नेशनल लोक अदालत में हजारों प्रकरण रखेगी, बिजली चोरी एवं अनियमितताओं के प्रकरण को समझौते के माध्यम से निराकृत किया जाएगा। कोविड प्रोटोकाल के तहत लगने वाली लोक अदालत में अधिक से अधिक प्रकरण रखकर समझौते के प्रयास जारी है, इसलिए हर जिले से हजारों नोटिस जारी किए गए है।
मप्रपक्षेविविकं के मुख्य सतर्कता अधिकारी कैलाश शिवा ने बताया कि प्रबंध निदेशक अमित तोमर के निर्देशानुसार एवं मुख्य महाप्रबंधक संतोष टैगोर के मार्गदर्शन में कंपनी क्षेत्र से सभी 15 जिलों में लोक अदालत की तैयारी चल रही है। इन जिलों में 44 न्यायालयों में लोक अदालत आयोजित होना है। लोक अदालत में अधिक से अधिक प्रकरण रखे जाने के लिए मालवा और निमाड़ में 15 जिलों के 400 से ज्यादा बिजली जोन/वितरण केंद्र के माध्यम से प्रभावी तैयारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126 तथा धारा 135 के तहत बिजली चोरी एवं अनियमितताओं के प्रकरणों में लोक अदालत में समझौता होगा। प्री-लिटिगेशन स्तर के प्रकरणों में निम्नदाब श्रेणी के समस्त घरेलू, समस्त कृषि, 5 किलोवॉट तक के गैर घरेलू एवं 10 अश्व शक्ति भार तक के औद्योगिक उपभोक्ताओं को छूट दी जाएगी।
प्री-लिटिगेशन स्तर पर सिविल दायित्व की राशि पर 30 प्रतिशत एवं ब्याज की राशि पर 100 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। लिटिगेशन स्तर के प्रकरणों में सिविल दायित्व की राशि पर 20 प्रतिशत एवं ब्याज की राशि पर 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। मुख्य सतर्कता अधिकारी ने बताया कि समझौते वाले आवेदक को निर्धारित छूट के उपरांत शेष बिल आंकलित सिविल दायित्व एवं ब्याज की राशि का एकमुश्त भुगतान करना होगा। साथ ही उपभोक्ता/उपयोगकर्ता को विचाराधीन प्रकरण वाले परिसर एवं अन्य परिसरों पर उसके नाम पर किसी अन्य संयोजन/संयोजनों के विरूद्ध विद्युत देयकों की बकाया राशि का पूर्ण भुगतान भी करना होगा। लोक अदालत में छूट आवेदक द्वारा विद्युत चोरी/अनाधिकृत उपयोग पहली बार किए जाने की स्थिति में ही दी जाएगी।