मेरे द्वारा कांग्रेस को बचाने एवं मज़बूत करने के लिए प्रदेश नेतृत्व की अकर्मण्यता एवं झूठ का पर्दाफ़ाश करते हुए सच्चाई को सामने रखा था, उसे अनुशासनहीनता माना और मुझे 48 घंटे का नोटिस देकर निष्कासन का पत्र थमा दिया। मुझे अपनी बात अनुशासन समिति के समक्ष रखने का मौक़ा भी नहीं दिया गया जिसका मैंने उल्लेख नोटिस के जवाब में दिया था।
इसके उलट पार्टी के लोकसभा उम्मीदवार अक्षय बम को पाल बदल करवाने एवं इंदौर की जनता से मतदान के माध्यम से अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार छीनने वाले भाजपा नेता का गांधी भवन में हार-फूल से भव्य स्वागत करने, गुलाब जामुन खिलाने और पैर छूने वाले नेताओं को 7 दिवस का नोटिस दिया गया है और इस नोटिस को मीडिया से भी छुपाया गया।
नोटिस जारी करने वाले और नोटिस प्राप्त करने वाले दोनों पक्षों द्वारा कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ताओं और राष्ट्रीय नेतृत्व से नोटिस को छुपा कर रख भुलावे में रखा ताकि वे उनकी आँखों में धूल झोंक सकें।
इस गंभीर घटनाक्रम पर अनुशासन समिति नोटिस के 9 दिन पूरे होने पर भी कार्रवाई नहीं कर सकी है। स्पष्ट हो रहा है कि मप्र में कांग्रेस की कमान संभाल रहे जिम्मेदार कांग्रेस संगठन के लिए नहीं बल्कि भाजपा के एजेंट बनकर काम कर रहे हैं।