स्वर देवी लता मंगेशकर से मुलाकात के वह 27 मिनट…

Pinal Patidar
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#लतामंगेशकर
कोई भी संगीतप्रेमी हो या सामान्य इंसान ही क्यों न हो, जिदंगी में जरूर उसका सपना रहता है कि स्वरदेवी को देख ले, साक्षात बातचीत हो जायें। जब से होश संभाला है बस एक ही ख्वाब था इस सुरों की देवी को देख लू।अक्सर मुबंई मेरे मित्र विरेन्द्र वर्मा के साथ जाया करता था, सब काम निपटाने के बाद पैडर रोड़ स्थित प्रभू कुंज के पहली मंजिल उस फ्लैट की बालकनी में निगाह रहती थी कि वह लकड़ी की चीख़(परदा) हटे और स्वर सम्राज्ञी की झलक दिख जायें लेकिन पच्चीस तीस मर्तबा जाने पर भी ऐसा हो न सका ।

लेकिन एक कहावत है कि नेक नियत हो, मन में चाहत हो तो आपका सोचा ज़रूर पूरा होता है ।
आख़िर 21 अगस्त 2005 रविवार की रात 9.30 बजे जिदंगी का वह अविस्मरणीय दिन आ ही गया था जब होटल सयाजी की लाबी में सुरों की देवी साक्षात सरस्वती लता मंगेशकर मुखातिब हुई, बस ! फिर क्या था हम तो बावले हो गये, उत्साह सातवें आसमान पर और मन में एक ही बात बस! यही एक पल है जिंदगी का, मुझे ओर मेरे मित्र विरेन्द्र वर्मा को सोभाग्य मिला लाबी से लिफ्ट के द्वारा कमरा नंबर 611 मे लता दीदी के साथ दो पल बिताने का ओर जैसे कमरे तक भीड़ के साथ गये वही विरेन्द्र वर्मा का लता दीदी को यह कहना हुआ कि यह (मैं) सुरेश गावड़े के भतीजे अभिषेक है,

तो यकीन मानिए लता जी ने तुरंत कहा कसे आहेत गावड़े साहब ओर हमें सुरेश काका के कारण अंदर कमरे मे आने की अनुमति दे दी बस वह जिदंगी के 27 मिनिट स्वर कोकिला ने पूरे शहर सराफा,राजबाडा पिपल्या पाला, सुरेश काका ओर अन्य जानकारी ले ली शहर की। वह 27 मिनिट में दीदी ने फ्रूट बास्केट में से सैंवफल ऊठाया और बिल्कुल छोटे बच्चों की तरह अख्खा सेंवफल खाया वह सब दृश्य जिदंगी का हासिल था, हमारी आंखे तो सिर्फ ओर सिर्फ दीदी पर थी यकिन माने लता दीदी की वह सादगी,प्योर शिफान की साड़ी ,दो लम्बी चोटी ओर हाथ मे चमचमाती हीरे की अंगूठी और वहां इस स्वर देवी द्वारा उत्पन्न सम्पूर्ण आभामंडल उन्हें और भी पवित्र बना रहा था।

आइये! लताजी के इस 87 वे जन्मदिन की शुभ बेला पर हम कामना करें कि जब तक वह इस दुनिया में हैं स्वस्थ रहे मस्त रहे और इस दुनिया को हमेशा सुरीला बनें रहने दे।