Naina Devi Temple: बड़ा ही चमत्कारी है माता का यह मंदिर, यहां दर्शन करने से दूर होती है आंखों की बीमारी, जानें क्या है मान्यता

srashti
Published on:
Naina Devi Temple

Naina Devi Temple: भारत में देवी-देवताओं के अनेक प्राचीन और धार्मिक महत्व वाले मंदिर हैं, जिनसे जुड़ी कई मान्यताएं हैं, और इन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ हमेशा देखी जाती है। इनमें से एक विशेष मंदिर है, जिसे लेकर यह मान्यता है कि यहां देवी मां के दर्शन मात्र से भक्तों की आंखों से जुड़ी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर का नाम है नैना देवी मंदिर, जो उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में स्थित है।

नैना देवी मंदिर की महत्वता

नैना देवी मंदिर, जो नैनीताल झील के उत्तरी छोर पर स्थित है, एक प्रमुख धार्मिक स्थल है और यह माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में देवी मां अपने दो नेत्र के रूप में विराजमान हैं, और यहां की मान्यता से जुड़ी एक पुरानी पौराणिक कथा है, जिसके अनुसार जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को लेकर कैलाश की ओर जा रहे थे, तब विभिन्न स्थानों पर माता के शरीर के अंग गिरे। जहां-जहां ये अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ स्थापित हुए। नैना देवी मंदिर भी उन्हीं स्थानों में शामिल है, जहां माता सती के नेत्र गिरे थे।

आंखों के इलाज की मान्यता

नैना देवी मंदिर को लेकर एक अनोखी मान्यता है कि यहां आने वाले भक्त अपनी आंखों से जुड़ी हर प्रकार की बीमारी से मुक्त हो जाते हैं। यहां श्रद्धालु अपनी आंखों की समस्याओं का इलाज पाने के लिए आते हैं, और उन्हें विश्वास होता है कि देवी मां के आशीर्वाद से उनकी आंखों की सारी परेशानियां समाप्त हो जाएंगी। इस मंदिर की यही विशेषता है कि भक्तों का मानना है कि यहां सिर्फ आंखों से जुड़ी बीमारियां ही नहीं, बल्कि अन्य कई मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।

देवी के साथ अन्य देवताओं की उपस्थिति

इस मंदिर में देवी नैना माता गर्भगृह में विराजमान हैं। इसके अलावा, उनके साथ भगवान गणेश और माता काली भी मंदिर में मौजूद हैं। यह मंदिर केवल देवी मां का ही नहीं, बल्कि अन्य देवी-देवताओं का भी एक महत्वपूर्ण स्थल है, जो भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

नैना देवी महोत्सव

नैना देवी मंदिर में हर साल सितंबर माह में नंदा अष्टमी के अवसर पर नैना देवी महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जो आठ दिन तक चलता है। इस महोत्सव में विशेष रूप से सुबह ब्रह्म मुहूर्त में माता सुनंदा का डोला भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर में रखा जाता है। इसके बाद इसे तीन से पांच दिन बाद पूरे नगर में घुमाया जाता है, और फिर रात के समय इस डोले को नैनी झील में विसर्जित कर दिया जाता है। महोत्सव के दौरान पास के मैदान में एक विशाल मेले का भी आयोजन किया जाता है, जहां श्रद्धालु अपनी श्रद्धा और आस्था के साथ भाग लेते हैं।

निचली पंक्ति

नैना देवी मंदिर ना केवल धार्मिक आस्थाओं का केंद्र है, बल्कि यहां की मान्यताएं भक्तों को मानसिक शांति और दिव्य आशीर्वाद देती हैं। देवी मां के प्रति श्रद्धा और विश्वास को देखते हुए, यहां हर साल भक्तों की भारी भीड़ जुटती है, और यह स्थान पर्यटकों और धार्मिक यात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बना हुआ है।