हनुमान जी का ये मंदिर है सबसे अनोखा, 24 घंटे में 3 बार बदलता है स्वरूप

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हर साल हनुमान जयंती बड़े ही धूम-धाम से मनाई जाती है लेकिन इस साल वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते यह पर्व बड़ी ही शांति से मनाया जाएगा। सभी संकटो को हरने वाले प्रभु श्री राम के परमभक्त हनुमान जी सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले भगवान है और अपनों की हर इच्छा पूरी करने में भी हनुमान जी सबसे जल्दी सुनते है। हनुमानजी एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनके कारण तीनों लोकों की कोई भी शक्ति अपनी मनमानी नहीं कर सकती। वे सिर्फ साधु-संतों के ही नहीं बल्कि भगवानों के भी रक्षक हैं। उनसे बड़ा इस ब्रह्मांड में दूसरा कोई नहीं। वे परम ब्रह्मचारी और ईश्वरतुल्य हैं।

आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां मूर्ति का रूप चौबीस घंटे में तीन बार बदलता है। कहा जाता है कि हनुमान जी की प्रतिमा का सुबह के समय बाल स्वरूप, दोपहर में युवा और फिर शाम ढलने के बाद से पूरी रात वृद्ध रूप हो जाता है। आइए जानते हैं कि हनुमान जी के इस मंदिर के बारे में, क्यों बदलता है उनका स्वरूप और इस मंदिर की विशेषता।

बात दे, मंडला से करीब तीन किलोमीटर दूर पुरवागांव में श्रद्धा और भक्ति का एक प्राचीन केन्द्र है, जिसे सूरजकुंड कहा जाता है। इस जगह पर हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है। आप ये जान कर हैरान हो जाएंगे कि मंदिर में प्रतिष्ठित हनुमान जी के त्वचा का रंग अत्यंत ही दुर्लभ पत्थर से निर्मित है और उनकी आदमकद प्रतिमा रामायणकाल की घटनाओं का विवरण देती है। दरअसल, चेहरा आकर्षण और तेज लिए हुए है, जिससे दिव्यता और असीम शांति का अनुभव होता है। बात दे, तीन स्वरूप वाले इस चमत्कारी हनुमान जी के मंदिर में बड़ी दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। क्योंकि ऐसी प्रतिमा और कहीं देखने को नहीं मिलती है।

कहा जाता है जो भी इस मंदिर में आता है और अर्जी लगाता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। मंदिर में पहुंचने वाले सभी भक्तों को इस मंदिर के प्रति बड़ी आस्था है। मान्यताओं के अनुसार, ये मंदिर नर्मदा के किनारे बना हुआ है। यहां सूर्य की सीधी किरणें नर्मदा पर पड़ती हैं। ऐसे में तो एक आलौकिक सौंदर्य उत्पन्न होता है। कहा जाता है कि यहां पर भगवान सूर्य तपस्या करते थे। जैसे ही भगवान सूर्य की तपस्या पूरी हुई तो भगवान सूर्य अपने लोक की ओर जाने लगे, जिसके बाद हनुमान जी को भगवान सूर्य ने यहीं रुकने के लिए कह दिया है। बाद में हनुमान जी यहीं मूर्ती के रूप में रुक गए। भगवान सूर्य की किरणों के साथ ही भगवान हनुमान अपने बाल रूप में नजर आते हैं। फिर अलग-अलग पहर में अपने रूप बदलते हैं। सूर्यकुंड कलयुग में हनुमान हैं इसका सही प्रमाण भी मिलता है।